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- Essays in Hindi /
Essay on Earthquake : कैसे लिखें भूकंप पर निबंध
- Updated on
- अगस्त 22, 2024
भूकंप को समझना छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें प्राकृतिक आपदाओं के बारे में आवश्यक ज्ञान प्रदान करता है। यह ज्ञान न केवल छात्रों की जागरूकता को बढ़ावा देता है बल्कि भूकंपीय घटनाओं के दौरान प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने के लिए उन्हें तैयार भी करता है। भूकंप छात्रों को टेक्टोनिक प्लेट्स, भूकंपीय तरंगों और रिक्टर स्केल जैसी अवधारणाओं के बारे में परिचित कराता है, जिससे छात्रों में भूवैज्ञानिक विज्ञानों की गहरी समझ विकसित होती है। भूकंप विषय पर विद्यालय में निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है जिसमें भूकंप पर निबंध लिखने को दिया जाता है। इस ब्लॉग में Essay on Earthquake in Hindi के कुछ सैंपल दिए गए हैं आप जिनकी मदद ले सकते हैं।
This Blog Includes:
भूकंप पर 100 शब्दों में निबंध, भूकंप पर 200 शब्दों में निबंध, भूकंप के अन्य महत्वपूर्ण प्रकार, भूकंप से होने वाले प्रभाव, उपसंहार .
भूकंप पृथ्वी की सतह का हिलना होता है जो अर्थ क्रस्ट में अचानक ऊर्जा के निकलने के कारण होता है। इससे इमारतों और बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान हो सकता है, जिससे यह एक खतरनाक प्राकृतिक आपदा बन जाती है। भूकंप की तीव्रता उसके परिमाण और भूकंप के केंद्र से दूरी पर निर्भर करती है। भूकंप भूस्खलन, आग और सुनामी को भी जन्म देते हैं, जिससे और भी अधिक विनाश हो सकता है। केवल कुछ सेकंड तक चलने के बावजूद, भूकंप का प्रभाव विनाशकारी हो सकता है, जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि मनुष्य प्रकृति की शक्तियों के प्रति कितने कमजोर हैं। इमरजेंसी किट के साथ तैयार रहना और सुरक्षा प्रक्रियाओं को जानना ऐसी घटनाओं के दौरान जोखिम को कम करने और जान बचाने में मदद कर सकता है।
भूकंप प्राकृतिक विपत्ति है जो कई खतरे लेकर आती है। भूकंप के कारण इमारतें ढह सकती हैं, जिससे लोग अंदर फंस सकते हैं। जबकि मामूली भूकंप आना आम बात है, बड़े भूकंप से गंभीर कंपन हो सकता है। यह कंपन उस बिंदु से शुरू होता है जहाँ चट्टान सबसे पहले टूटती है, जिसे हाइपोसेंटर या फ़ोकस कहा जाता है।
जब भूकंप शुरू होता है और आप अंदर होते हैं, तो ज़मीन पर लेट जाएँ और सुरक्षित रहने के लिए अपना सिर ढक लें। भूकंप की तीव्रता भूकंपीय घटना के दौरान निकलने वाली ऊर्जा का माप है।
भूकंप के प्रकार
भूकंप तीन प्रकार के होते हैं, जैसे कि-
- उथले भूकंप: ये पृथ्वी की सतह के करीब आते हैं। ये आमतौर पर कम शक्तिशाली होते हैं लेकिन फिर भी काफी नुकसान पहुँचा सकते हैं।
- मध्यवर्ती भूकंप: इनका फ़ोकस सतह और पृथ्वी के मेंटल के बीच स्थित होता है। ये आमतौर पर उथले भूकंपों से ज़्यादा शक्तिशाली होते हैं।
- गहरे भूकंप: ये पृथ्वी की पपड़ी के नीचे मेंटल में आते हैं। ये सबसे शक्तिशाली होते हैं और सतह पर भी नुकसान पहुँचा सकते हैं।
इन प्रकारों को समझने से हमें प्रत्येक प्रकार के भूकंप से जुड़े संभावित प्रभाव और खतरों को पहचानने में मदद मिलती है। विभिन्न भूकंपों की प्रकृति और प्रतिक्रिया के तरीके को जानकर, हम उनके प्रभावों से खुद को बेहतर तरीके से तैयार और सुरक्षित कर सकते हैं।
भूकंप पर 500 शब्दों में निबंध
भूकंप पर 500 शब्दों (Essay on Earthquake in Hindi) में निबंध नीचे दिया गया है-
आसान शब्दों में कहें तो पृथ्वी की सतह के हिलने को भूकंप कहते हैं। यह अचानक होता है और बहुत भयावह हो सकता है। भूकंप एक गंभीर प्राकृतिक आपदा है जो इमारतों को बहुत नुकसान पहुंचा सकती है और लोगों को नुकसान पहुंचा सकती है। कुछ भूकंप छोटे होते हैं और शायद ही कभी ध्यान में आते हैं, जबकि कुछ बहुत शक्तिशाली और विनाशकारी होते हैं। बड़े भूकंप आमतौर पर बहुत खतरनाक होते हैं और बहुत तबाही मचा सकते हैं। भूकंप को विशेष रूप से खतरनाक बनाने वाली बात यह है कि हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि वे कब आएंगे।
भूकंप के अन्य महत्वपूर्ण प्रकार नीचे दिए गए हैं-
- टेक्टोनिक भूकंप: पृथ्वी की पपड़ी चट्टानों के बड़े-बड़े स्लैब से बनी है, जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये प्लेटें ऊर्जा संग्रहित करती हैं, जिसके कारण वे एक-दूसरे से दूर या एक-दूसरे की ओर बढ़ती हैं। समय के साथ, यह गति प्लेटों के बीच दबाव बनाती है। जब दबाव बहुत अधिक हो जाता है, तो यह एक फॉल्ट लाइन बनाता है। इस गड़बड़ी के केंद्र को फोकस कहा जाता है। ऊर्जा तरंगें फोकस से सतह तक जाती हैं, जिससे जमीन हिलती है।
- टेक्टोनिक भूकंप, जो तब होता है जब मैग्मा हिलता है या वापस ले लिया जाता है।
- दीर्घ-अवधि के भूकंप, जो पृथ्वी की परतों के भीतर दबाव में बदलाव के कारण होते हैं।
- ढहने वाले भूकंप: ये गुफाओं और खदानों में होते हैं और आमतौर पर कमज़ोर होते हैं। भूमिगत विस्फोटों के कारण अक्सर खदानें ढह जाती हैं, जिससे भूकंपीय तरंगें पैदा होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप भूकंप उत्पन्न होता है।
- विस्फोटक भूकंप: ये परमाणु हथियार परीक्षणों के कारण होते हैं। जब कोई परमाणु हथियार फटता है, तो उससे बहुत ज़्यादा ऊर्जा निकलती है, जिससे भूकंप पैदा होता है।
सबसे पहले भूकंप का सबसे ज़्यादा ध्यान देने योग्य प्रभाव ज़मीन का हिलना है। यह कंपन ज़मीन के टूटने का कारण बन सकती है, जो पृथ्वी की सतह का टूटना है। ज़मीन के टूटने और हिलने से इमारतों और बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान हो सकता है। भूकंप की गंभीरता इसकी तीव्रता, भूकंप के केंद्र से दूरी और स्थानीय भूगोल पर निर्भर करती है। भूकंप का एक और बड़ा प्रभाव भूस्खलन है, जो तब होता है जब ढलान हिलने के कारण अस्थिर हो जाते हैं।
भूकंप मिट्टी के द्रवीकरण का भी कारण बन सकता है। ऐसा तब होता है जब पानी से भरी मिट्टी अपनी ताकत खो देती है और तरल की तरह व्यवहार करती है, जिससे इमारतें और अन्य संरचनाएँ डूब जाती हैं। भूकंप के दौरान आग लग सकती है क्योंकि कंपन से बिजली और गैस लाइनों को नुकसान पहुँचता है। एक बार आग लग जाने के बाद, इसे रोकना बहुत मुश्किल हो सकता है। भूकंप सुनामी का कारण बन सकते हैं, जो पानी के नीचे भूकंप के कारण पानी की अचानक गति से उत्पन्न होने वाली बड़ी समुद्री लहरें हैं। सुनामी 600-800 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आ सकती है और तट पर पहुँचने पर भारी तबाही मचा सकती है।
भूकंप शक्तिशाली और भयावह प्राकृतिक घटनाएँ हैं जो इस बात पर प्रकाश डालती हैं कि मनुष्य प्रकृति के प्रति कितने संवेदनशील हैं। वे अचानक होने वाली घटनाएँ हैं जो सभी को चौंका देती हैं। भले ही भूकंप केवल कुछ सेकंड तक रहता है, लेकिन यह बहुत अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।
भूस्खलन ढलान की अस्थिरता के कारण होता है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह ढलान अस्थिरता भूकंप के कारण होती है।
लेकिन कुछ मामलों में, किसी भ्रंश के दोनों ओर की चट्टानें समय के साथ टेक्टोनिक बलों के कारण धीरे-धीरे विकृत हो जाती हैं। भूकंप आमतौर पर तब आता है जब भूमिगत चट्टान अचानक टूट जाती है और किसी भ्रंश के साथ तीव्र गति से गति होती है। ऊर्जा के अचानक निकलने से भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं, जिनसे ज़मीन हिलती है।
हम प्राकृतिक भूकंपों को आने से तो नहीं रोक सकते, लेकिन खतरों की पहचान करके, सुरक्षित संरचनाओं का निर्माण करके, तथा भूकंप सुरक्षा पर शिक्षा प्रदान करके हम उनके प्रभावों को काफी हद तक कम कर सकते हैं। प्राकृतिक भूकंपों के लिए तैयारी करके हम मानव जनित भूकंपों के खतरे को भी कम कर सकते हैं।
उम्मीद है आपको Essay on Earthquake in Hindi के संदर्भ में हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। इसी तरह के अन्य निबंध पर ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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भूंकप पर निबंध – Essay on Earthquake in Hindi
Essay on Earthquake
भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जो कि जीव-जन्तु, जलवायु, पेड़-पौधे, वनस्पति, पर्यावरण समेत समस्त मानव जीवन के लिए किसी बड़े संकट से कम नहीं है। भूकंप, जब भी आता है, धरती पर इतनी तेज कंपन होता है कि पल-भर में ही सब-कुछ तहस-नहस हो जाता है और तमाम मानव जिंदगियों एक झटके में बर्बाद हो जाती हैं।
अक्सर स्कूल के बच्चों को भूंकप पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसी दिशा में हम अपने इस पोस्ट में आपको भूकंप जैसी विनाशकारी आपदा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसमें भूकंप से संबंधित सभी मुख्य तथ्य शामिल किए गए हैं, इस निबंध को आप अपनी जरुरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं –
भूकंप, जैसी अत्यंत विध्वंशकारी और भयावह आपदा जब भी आती है, धरती पर इतनी तेज कंपन हो उठता है कि पल भर में ही सब-कुछ नष्ट हो जाता है। भूकंप आने पर न सिर्फ सैकड़ों जिंदगियों का पल भर में विनाश हो जाता है, बल्कि करोड़ों-अरबों रुपए की संपत्ति भी एक ही झटके में मलबे का ढेर बन जाती है।
तेज भूकंप आने पर न जाने कितनी इमारतें ढह जाती हैं, नदियों, जलाशयों में उफान आ जाता हैं, धरती फट जाती है और सुनामी का खतरा बढ़ जाता है, भूकंप को तत्काल प्रभाव से नहीं रोका जा सकता है।
भूकंप क्या है – What is the Earthquake
भूकंप शब्द – दो अक्षरों से मिलकर बना है- भू+कंप अर्थात, भू का अर्थ है भूमि, और कंप का मतलब कंपन से है तो इस तरह भूमि पर कंपन को ही भूकंप कहते हैं।
वहीं अगर भूकंप को परिभाषित किया जाए तो – भूकंप एक अत्यंत विध्वंशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से है, जिसमें अचानक से धरती सतह पर तेजी से कंपन होना लगता है, अर्थात धरती बुरी तरह हिलने-डुलने लगती है।
वहीं जब भूकंप की तीव्रता की गति अत्यंत तेज होती है, तो यह उस भयावह स्थिति को उत्पन्न करता है, जिसमें धरती फटने लगती हैं, नदियों, जलाशयों में तेजी से उफान आता है, जिससे भूस्खलन और सुनामी जैसे संकट का खतरा पैदा हो जाता है, और इससे बड़े स्तर पर जान-माल की हानि होती है, और इसके तत्काल प्रभाव पर काबू नहीं पाया जा सकता है।
भूकंप आने के कारण – Causes of Earthquake
प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों कारणों से भूकंप आ सकता है-
भूकंप आने के प्राकृतिक कारण – Natural Causes of Earthquake
क्रस्टल, मेनटल, इनर कोर और आउट कोर इन चार परतों से मिलकर धरती बनी हैं, इन परतों को टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है, वहीं जब ये प्लेट्स अपने स्थान से खिसकती हैं अर्थात हिलती-डुलती हैं तो भूकंप की स्थिति पैदा हो जाती है। इसके साथ ही जब धरती की निचली सतह में तरंगें उत्पन्न होती हैं, तो भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा जन्म लेती हैं
धरती का तापमान बढ़ने से ज्वालामुखी फटते हैं, जिसके कारण भूकंप जैसी विनाशकारी आपदा आती है।
धरती के अंदर की चट्टानों के खिसकने की वजह से भी भूकंप आते हैं, इसलिए धऱती पर दवाब होने की वजह से पहाड़ वाले स्थान पर भूकंप ज्यादा आते हैं।
भूकंप पर वैज्ञानिकों की आधुनिक शोध के तहत प्लेट टेक्टोनिस्क भी भूकंप का कारण हैं, इसके तहत जब पहाड़ों, महासागरों, मरुभूमियों और महाद्धीपों की अलग-अलग प्लेटें होती हैं, जो कि लगातार खिसकती रहती हैं, वहीं ऐसी प्लेटों के आपस में टकराने से या फिर अलग होने पर भी भूंकप आता है।
भूकंप आने के मानव निर्मित कारण – Man-made Causes of Earthquake
- परमाणु परीक्षण।
- नाभिकीय और खदानों के विस्फोट।
- गहरे कुओं से तेल निकालना या फिर किसी तरह का अपशिष्ट या तरल पदार्थ भरना।
- विशाल बांध का निर्माण।
रिक्टर स्केल से मापी जाती है भूकंप की तीव्रता:
रिक्टर स्केल से भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। आपको बता दें कि सिसमोमीटर द्धारा रिएक्टर स्केल में मापी गई भूकंप की तीव्रता 2-3 रिएक्टर में आती है, तो इसे सामान्य माना जाता है ,यानि कि इसके तहत हल्के झटकों का एहसास होता है।
इसमें ज्यादा नुकसान नहीं होता है, वहीं जब यह तीव्रता 7 से ज्यादा होती है, तो इस तीव्रता वाले भूकंप, बेहद खतरनाक और विनाशकारी होते हैं और सब-कुछ तहस नहस कर देते हैं।
भूकंप से नुकसान – Effects of Earthquake
- भूकंप से कई जिंदगियां तबाह हो जाती हैं।
- भीड़-भाड़ वाले इलाके में भूकंप से काफी नुकसान होता है, कई बड़ी इमारते पल भर में ढह जाती हैं, वहीं मलबों के नीचे भी कई लोग दब कर मर जाते हैं।
- भूकंप से नदियों, जलाशयों के जल में उफान आ जाता है, जिससे सुनामी और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
- अत्याधिक तेज कंपन से धरती फंटना शुरु हो जाती है, अर्थात भूस्खलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
भूकंप आने पर अपनी सुरक्षा कैसे करें:
- भूकंप जैसी भयावह आपदा पर काबू पाना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन भूकंप आने पर घबराने की बजाय अगर समझदारी के साथ नीचे लिखी कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए तो आप अपना बचाव कर सकते हैं –
- ऐसे मकानों का निर्माण करवाना चाहिए जो कि भूकंप रोधी हों।
- भूकंप के झटकों का एहसास होते ही, तुरंत घर से निकलकर खुले स्थानों पर जाएं, वहीं अगर घर से बाहर निकलने में टाइम लगे तो कमरे के कोने में या फिर किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे जाकर छिप जाएं।
- भूकंप के दौरान लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें।
- घर में उपलब्ध बिजली के सारे उपकरण को बंद कर दें, और बिजली का मेन स्विच बंद कर दें।
- कार चलाते वक्त तुरंत कार से बाहर निकलें।
भूकंप से बचने के उपाय:
भूकंप जैसी भयावह आपदा के प्रभाव को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है, भूकंप से बचना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन अगर पहले से ही कुछ भूकंप मापने वाले यंत्र लगा दिए जाएं तो, पहले से ही भूकंप आने की जानकारी मिल सकेगी, जिससे लोगों को पहले से ही आगाह किया जा सकेगा।
अब तक आए सबसे बड़े भूकंप:
- वाल्डिविया, चिली में 22 मई, 1960 को 9.5 की तीव्रता वाला भयंकर भूकंप आया था, जिसमें चिली समेत न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस ने भारी तबाही मचाई थी और लाखों जिंदगियां इस भूंकप से बर्बाद हो गईं थी।
- दक्षिण भारत में 9.2 की तीव्रता वाला भूकंप 26 दिसंबर, साल 2004 में आया था, जिसमें कई हजार लोगों की जान चली गई थी।
- गुजरात के भुज में 26 जनवरी, 2001 में 7.7 की तीव्रता वाला विध्वंशकारी भूकंप आया था, जिसमें करीब 30 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी, और करोड़ों-अरबों रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ था।
- हैती में 12 जनवरी, 2010 में 7 रिएक्टर की तीव्रता वाला भूकंप आया था, जिसमें करीब 1 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे।
भूकंप, जैसी भयावह और विध्वंशकारी आपदा को रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर इसका पूर्वानुमान लगाकर, इससे प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है।
- Water is Life Essay
- Essay on Water Pollution
- Essay on Science
- Essay on Disaster Management
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1 thought on “भूंकप पर निबंध – Essay on Earthquake in Hindi”
11 बड़े भूकंप कब आए और कहाँ आए?
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भूकंप पर निबंध (प्राकृतिक आपदा)
[प्राकृतिक आपदा] भूकंप (Earthquake) पर छोटे व बड़े निबंध [Long & Short essay Writing on Earthquake in Hindi]
[प्राकृतिक आपदा] भूकंप (Earthquake)
पृथ्वी की सतह के हिलने और कांपने को भूकंप के रूप में जाना जाता है। भूकंप को सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है क्योंकि वे जीवन और संपत्ति को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। भूकम पे निबंध छोटे बच्चो और कॉलेज छात्रों के लिए निबंध प्रस्तुत किया गया है।
#1. [100-150 Words] भूकंप -भूचाल (Bhukamp)
धरती के अचानक हिलने की घटना भूकंप कहलाती है। जब पृथ्वी के आंतरिक गर्म पदार्थों के कारण हलचल उत्पन्न होती है, तो भूकंप की स्थिति उत्पन्न होती है। कभी भूकंप हल्की तो कभी भारी तीव्रता का होता है। कम तीव्रता वाला भूकंप आने पर क्षेत्र-विशेष में धरती केवल हिलती महसूस होती है लेकिन इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। अधिक तीव्रता वाला भूकंप कभी-कभी भारी क्षति पहुँचाता है। कच्चे और कमज़ोर मकान ढह जाते हैं, चल-अचल संपत्ति का भारी नुकसान होता है। सैंकड़ों मनुष्य मकान के मलबे में दबकर मर जाते हैं। हज़ारों घायल हो जाते हैं। लोग बेघर-बार होकर अस्थायी निवास में रहने के लिए विवश होते हैं। परिस्थितियों के सामान्य बनाने में कई महीने या कई वर्ष लग जाते हैं। भूकंप को रोका नहीं जा सकता परंतु सावधानियाँ बरतने से इससे होने वाली क्षति ज़रूर कम की जा सकती है। इससे बचाव के लिए भूकंपरोधी भवनों का निर्माण करना चाहिए। भूकंप आने पर घबराना नहीं चाहिए बल्कि आवश्यक सावधानियाँ बरतनी चाहिए। भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, इसका मिल-जुलकर मुकाबला करना चाहिए।
#2. [400-500 Words] भूकंप पर निबंध-essay on earthquake in Hindi
भूमिका : भूकंप पृथ्वी का अपनी धुरी से हिलकर कम्पन करने की स्थिति को भूकम्प या भूचाल कहा जाता है। कभी-कभी तो यह स्थिति बहुत भयावह हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी के ऊपर स्थित जड़-चेतन हर प्राणी और पदार्थ का या तो विनाश हो जाता है या फिर वह सर्वनाश की-सी स्थिति में पहुंच जाता है। जापान के विषय में तो प्रायः सुना जाता है कि वहां तो अक्सर भूकम्प आकर विनाशलीला प्रस्तुत करते ही रहते हैं। इस कारण लोग वहां लकड़ियों के बने घरों में रहते हैं। इसी प्रकार का एक भयानक भूकम्प बहुत वर्षों पहले अविभाजित भारत के कोटा नामक स्थान पर आया था। उसने शहर के साथ-साथ हजारों घर-परिवारों का नाम तक भी बाकी नहीं रहने दिया था।
अभी कुछ वर्षों पहले गढ़वाल और महाराष्ट्र के कुछ भागों को भूकम्प के दिल दहला देने वाले हादसों का शिकार होना पड़ा था। प्रकृति की यह कैसी लीला है कि वह मानव-शिशुओं के घर-घरौंदों को तथा स्वयं उनको भी कच्ची मिट्टी के खिलौनों की तरह तोड़-मरोड़कर रख देती है। पहले यह भूकम्प गढ़वाल के पहाड़ी इलाकों में आया था, जहां इसने बहुत नुकसान पहुंचाया था। थोड़े दिन पश्चात् महाराष्ट्र के एक भाग में फिर एक भूकम्प आया जिसने वहां सब कुछ मटियामेट कर दिया था। महाराष्ट्र में धरती के जिस भाग पर भूकम्प के राक्षस ने अपने पैर फैला दिए थे वहाँ तो आस-पास के मकानों के खण्डहर बन गए थे। उन मकानों में फंसे लोग कुछ तो काल के असमय ग्रास बन गए थे, कुछ लंगड़े-लूले बन चुके थे। एक दिन बाद समाचार में पढ़ा कि वहां सरकार और गैर-सरकारी स्वयं-सेवी संस्थाओं के स्वयंसेवक दोनों राहत कार्यों में जुटे हुए थे। ये संस्थाएं अपने साधनों के अनुरूप सहृदयता का व्यवहार करती हुई पीड़ितों को वास्तविक राहत पहुंचाने का प्रयास कर रही थीं।
भूकम्प कितना भयानक था यह दूरदर्शन में वहां के दृश्य देखकर अन्दाजा हो गया था। जिन भागों पर भूकम्प का प्रकोप था वहां सब कुछ समाप्त हो चुका था। हल जोतने वाले किसानों के पशु तक नहीं बचे थे। दुधारू पशुओं का अन्त हो चुका था। सैकड़ों लोग मकानों के ढहने और धरती के फटने से मृत्यु को प्राप्त हो गए थे। इस प्रकार हंसता-खेलता संसार वीरान होकर रह जाता है। सब ओर गहरा शून्य तथा मौत का-सा सन्नाटा छा जाता है। कभी-कभी मैं सोचता हूं कि जापान के लोग कैसे रहते होंगे जहां इस प्रकार के भयावह भूकम्प आए दिन आते रहते हैं।
26 जनवरी, 2001 को गुजरात सहित पूरे भारत ने भूकंप का कहर देखा। भुज सहित संपूर्ण गुजरात में भारी जान-माल का नुकसान हुआ। 8 अक्टूबर, 2005 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और उससे सटे भारतीय कश्मीर में दिल दहला देने वाला जो भूकंप आया उसमें जहाँ एक लाख से अधिक लोंग काल के गाल में समा गए, वहीं लाखों लोग घायल हुए। अरबों रुपए की संपत्ति की हानि हुई।
भूकंप वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक ऐसा कोई उपकरण-यंत्र विकसित नहीं हुआ है, जिससे यह बात पता चल सके कि अमुक-अमुक क्षेत्रों में भूकंप आने वाला है। भूकंप के आते समय ‘रिक्टर स्केल’ पर सिर्फ उसकी क्षमता का ही माप लिया जा सकता है। जापान, पेरू व अमेरिका के कुछ राज्यों में जहां भूकंप के झटके अकसर महसूस किए जाते हैं, वहां के वैज्ञानिकों ने भूकंपरोधी मकानों (Earthquake Resistance) का निर्माण किया है। भारत के भूकम्प प्रमाणित क्षेत्रों में भी ‘भूकंपरोधी’ मकानों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सरकार को कारगर नीति बनानी चाहिए।
#3. [600-700 Words] Bhukamp par nibandh भूकंप निबंध हिंदी में
भूमिका : प्रकृती उस ईशवर की रचना होने के कारण अजय है। मनुष्य आदि काल से प्रकृति की शक्तियों के साथ संघर्ष करता रहा है। उसने अपनी बुद्धि साहस एवं शक्ति के बल पर प्रकृति के अनेक रहस्य का उद्घाटन करने में सफलता प्राप्त की है लेकिन इस प्रकृति की शक्तियों पर पूर्ण अधिकार करने की सामर्थ्य मनुष्य में नहीं है। प्रकृति अनेक रूपो में हमारे सामने आती है। ये कभी अपना कोमल और सुखदायी रूप दिखाती है। तो कभी ऐसा कठोर रूप धारण करती है कि मनुष्य इसके सामने विवश और असहाय हो जाता है। आंधी तूफान, अकाल, अनावृष्टि अतिवृष्टि तथा भूकम्प ऐसे ही प्रकोप है।
भूकम्प क्या है: भूमि के हिलने को भूचाल, भूकंप की संज्ञा दी जाती है। धरती का कोई भी अंग ऐसा नहीं बचा जहां कभी ना कभी भूकंप के झटके ना आए हो, भूकंप के हल्के झटके से तो विशेष हानि नहीं होती है। लेकिन जब कभी जोर के झटके आते हैं तो वे प्रलय कारी दृश्य उपस्थित कर देते हैं। कामायनी के महाकाव्य के रचयिता श्री जयशंकर प्रसाद में प्रकृति का प्रकोप का वर्णन करते हुए लिखा है।
हा – हा – कार हुआ क्रंदनमय कठिन कुलिश होते थे चूर हुए दिगंत वाघेर, भीषण रव बार-बार होता था क्रूर।।
भूकंप का कारण: भूकंप क्यों आते हैं यह एक ऐसा रहस्य है जिसका उद्घाटन आज तक नहीं हो सका वैज्ञानिकों ने प्रकृति को मनुष्य के अनुकूल बनाने का प्रयत्न किया है । वह गर्मी तथा सर्दी में स्वयं को बचाने के लिए वातावरण को अपने अनुकूल बना सकता है। लेकिन भूकंप तथा बाढ़ आदि ऐसे देवी प्रकोप है जिनका समाधान मनुष्य जाति सैकड़ों वर्षों के कठोर प्रयोत्नो के बावजूद भी नहीं कर पाई है।
भूकंप के कारण के विभिन्न मत: भूकम्प को विषय में लोगों के भिन्न-भिन्न मत है, भुगर्भ शास्त्रियों का मत है कि धरती के भीतर तरल पदार्थ है, जब अंदर की गर्मी के कारण तीव्रता से फैलने लगते हैं तो पृथ्वी हिल जाती है। कभी-कभी ज्वालामुखी का फटना भी भूकम्प का कारण बन जाता है। भारत एक धर्म प्रधान देश है, यहां के लोगों का मत है कि जब पृथ्वी के किसी भाग पर अत्याचार और अनाचार बढ़ जाते हैं तो उस भाग में देवी प्रकोप के कारण भूकंप आते है। देहातो में तो यह कथा भी प्रचलित है कि शेषनाग ने पृथ्वी को अपने सिर पर धारण कर रखा है। उसके सात सिर है जब एक सिर पृथ्वी के बोझ के कारण थक जाता है। तो उसे दूसरे सिर पर बदलना है उसकी इस क्रिया से पृथ्वी हिल जाती है। और भूकंप आ जाता है, अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि जब पृथ्वी पर जनसंख्या जरूरत से अधिक बढ़ जाती है तब उसे संतुलित करने के लिए भूकम्प उत्पन्न करती हैं।
भूकंप से हानि: भूकंप का कारण कोई भी क्यों ना हो, पर इतना निश्चित है कि यह एक दैवी प्रकोप है जो अधिक विनाश का कारण बनता है यह जान लेवा ही नहीं बनता बल्कि मनुष्य की शताब्दीयो की मेहनत को भी नष्ट कर देता है। बिहार में बड़े विनाशकारी भूकंप देखे हैं हजारों लोग मौत के मुंह में चले गए भूमि में दरारें पड़ गई जिनमें जीवित प्राणी समा गए पृथ्वी के गर्भ से कई प्रकार की विषैली गैस उत्पन्न हूंई जिनमें प्राणियों का दम घुट गया। भूकंप के कारण जो लोग धरती में समा जाते हैं उनके मृत शरीरों को बाहर निकालने के लिए धरती की खुदाई करनी पड़ती है। यातायात के साधन नष्ट हो जाते हैं बड़े-बड़े भवन धराशाई हो जाते हैं लोग बेघर हो जाते हैं धनवान निर्धन बन जाते हैं और निर्धनों को जीने के लाले पड़ जाते हैं।
भूकंप का उल्लेख: सन 1935 में क्वेटा ने भूकंप का प्रलयकारी नृत्य देखा था। भूकंप के तेज झटकों के कारण देखते ही देखते एक सुंदर नगर नष्ट हो गया हजारों स्त्री पुरुष जो रात की सुखद नींद का आनंद ले रहे थे क्षण भर में मौत का ग्रास बन गए। मकान, सड़के ओर व्रक्ष आदि सब नष्ट हो गए सब कुछ बहुत दयनीय हो गया। बहुत से लोग अपंग हो गए। किसी का हाथ टूट गया तो किसी की टॉन्ग, कोई अँधा हो गया तो कोई बहरा। अनेक स्त्रियां विधवा हो गई। बच्चे अनाथ हो गए। भारत देश के गुजरात राज्य में सन 2001 का भूकंप ऐसा रहा कि जिससे हुई बर्बादी अभी तक किसी भी भूकम्प से हुई बर्बादी से अधिक है। आज भी जब उस भूकम्प की करुण कहानी सुनते है।तो ह्रदय कांप उठता है।
भूकंप क्यों आते हैं ? इस संबंध में भिन्न-भिन्न मत प्रचलित हैं। भूगर्भशास्त्रियों की राय है कि पृथ्वी के भीतर की तहों में सभी धातुएँ और पदार्थ आदि तरल रूप में बह रहे हैं। जब वे भीतर की गरमी के कारण अधिक तेजी से बहते और फैलते हैं तो धरती काँप उठती है। कभी-कभी ज्वालामुखी पर्वतों के फटने से भी भूकंप आ जाते हैं। एक अन्य मत यह भी प्रचलित है कि पृथ्वी के भीतर मिट्टी की तहों के बैठने (धसकने) से भी धरती हिल उठती है।
जापान आदि कुछ ऐसे देश है जहां भूकंप की संभावना अधिक रहती है यहां पर मकान पत्थर चुने तथा ईट के ना होकर लकड़ी तथा गत्ते के बनाए जाते हैं। ये साधन भूकम्प के प्रभाव को कम कर सकते हैं पर उसे रोक नहीं सकते है। भूकंप जब भी आता है जान और माल की हानि अवश्य होती है। टर्की में भी एक भीषण भूकंप आया था जिसके परिणाम स्वरूप हजारों मनुष्य दबकर मर गए थे भूकंप के हल्के झटके भी कम भयंकर नही होते उससे भवनों को क्षति पहुंचती है।
उपसंहार : आज का युग विज्ञान का युग कहलाता है। पर विज्ञान देवी प्रकोप के सामने विवश है। भूकम्प के मनुष्य कारण क्षण भर में ही प्रलय का दृश्य उपस्थित हो जाता है। ईश्वर की इच्छा के आगे सब विवश है। मनुष्य को कभी भी अपनी शक्ति और बुद्धि का घमंड नहीं करना चाहिए उसे हमेशा प्रकृति तथा ईश्वर की शक्ति के आगे नतमस्तक रहना चाहिए। ईश्वर की कृपा ही मानव जाति को ऐसे प्रकोप से बचा सकती है।
#4. [800-1000 Words Long essay] प्राकृतिक आपदा भूकंप पर निबंध
प्रस्तावना : मनुष्य अपने स्वार्थ सिद्धि और तरक्की के कारण पर्यावरण को बेहद नुकसान पहुंचा रहा है। पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। इसके कारण कई प्राकृतिक आपदाओं को इसने जन्म दिया है। भूकंप एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है। यह एक भीषण संकट है। भूकंप जैसे ही आता है , यह जीव जंतु , मनुष्य सभी की जान ले लेता है। पेड़ पौधे नष्ट हो जाते है। बड़ी बड़ी इमारतें कुछ ही मिनटों में ताश के पत्तों की तरह ढह जाती है। भूमि पर दरार पड़ जाती है। अचानक धरती पर तीव्र गति से कम्पन होती है कि एक ही झटके में सब कुछ नष्ट हो जाता है। कई परिवार भूकंप की इस भयावह आपदा के शिकार हो जाते है। हर तरफ त्र्याही त्र्याही मच जाती है। भूकंप दो अक्षरों -भू + कम्प से बना है। भू मतलब धरती और कम्प का अर्थ है कम्पन। इस प्रकार भूमि यानी धरती पर अचानक आये कम्पन को भूकंप कहते है।
लोग बेघर हो जाते है और इस विनाशकारी आपदा की वजह से घायल हो जाते है। भूकंप के समक्ष मनुष्य की हालत दयनीय और असहाय हो जाती है। अपने चारो तरफ वह विनाश देखने को बेबस हो जाता है। भूकंप , बड़े उन्नत शहरों को खंडहरों में बदल कर रख देता है। मनुष्य ने हर क्षेत्र में प्रगति कर ली मगर भूकंप पर विजय पाने में असफल रहा है। ज़्यादातर भूंकम्प ज्वालामुखी विस्फोटो से आते है। जब ज्वालामुखी विस्फोट होता है , धरती में कम्पन पैदा हो जाता है। भूंकम्प आने पर चट्टानें टूट जाती है। जहाँ पर यह भूकंप आता है , वहां पर बसे गाँव और शहर नष्ट हो जाते है। जान माल की प्रचुर हानि होती है। कई बार दरारे इतनी गहरी पड़ती है कि लोग जिन्दा दफ़न हो जाते है। संचार और यातायात के सभी साधन भूकंप की वजह से नष्ट हो जाते है।
भूकंप पीड़ित जगहों पर कई वर्षो तक खुशहाली लौटती नहीं है। जीवन सामान्य होने में वक़्त लगता है। धरती को कृषि योग्य बनाने के लिए सैंकड़ो सालों से की गयी परिश्रम एक पल में नष्ट हो जाती है। भूकंप की वजह से सागर में भयानक लहरें उठती है जो वहां के क्षेत्रों में बसे लोगो पर कहर बरसाती है। भूकंप के समय समुद्र में तैर रही जहाजों का बचना नामुमकिन हो जाता है।
भारत में गुजरात के भुज में 7.7 तीव्रता से विनाशकारी भूकंप आया था। इस भूकंप में तीस हज़ार से ज़्यादा लोगो की जान चली गयी थी।
चार परतो से मिलकर धरती का निर्माण होता है। क्रस्टल , मेन्टल , इनर कोर , आउटर कोर इन चार परतो के नाम है। जब घरती के अंदर यह टेकटोनिक प्लेट हिलती है भूंकम्प आता है। धरती पर कभी कभार इतना अधिक दबाव पड़ता है कि पहाड़ खिसकने लगते है। टेकटोनिक प्लेट की तरह पहाड़ो , महासागरों की भी विभिन्न प्लेट होती है। भूकंप तब भी आ सकता , जब ऐसी प्लेट्स एक दूसरे के संग टकराती है।
भूकंप आने के कुछ कारण , मनुष्य का परमाणु परीक्षण , अनियमित प्रदूषण खदानों में विस्फोट , गहरे कुएं से तेल प्राप्त करना , जगह -जगह पर बाँध का निर्माण करवाना है । भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल में मापी जाती है। भूकंप को जिस उपकरण से मापा जाता है , उसे सिस्मोमीटर कहा जाता है। अगर दो से तीन तक की रिक्टर स्केल की भूकंप आती है ,तो यह भूकंप इतनी तीव्र नहीं होती है। अगर भूकंप की तीव्रता सात रिक्टर या उससे ज़्यादा होती है , तो भीषण विनाश ले आती है। ऐसे भूकंप में जान माल का बहुत नुकसान होता है।
जिस जगह में जनसंख्या का घनत्व अधिक होती है , वहां भूकंप से भयानक हानि होती है। शहरों में बड़ी इमारते होती है ,वो ढह जाती है जिसमे कई लोग दब कर मर जाते है। जब भूकंप आता है , तो नदियों और समुन्दरो में लहरें बढ़ जाती है। इससे बाढ़ का भय बढ़ जाता है।
अगर अतिरिक्त कम्पन होता है , धरती का बुरी तरीके से फटना शुरू हो जाता है। भूकंप आने पर चारो तरफ तनाव और भय का माहोल उतपन्न हो जाता है। मनुष्य को ऐसे घरो का निर्माण करना चाहिए ,जो भूकंप की चपेट को झेल सके। भूकंप रोधी घर होने चाहिए। जैसी ही लोगो को भूकंप के झटके महसूस होते है , उन्हें अपने मकान से निकलकर , खुले स्थान पर जाना चाहिए। अगर देर हो रही है , तो किसी सख्त फर्नीचर के नीचे छिप जाए । एक बात का ध्यान रखे , भूकंप के समय लिफ्ट का उपयोग बिलकुल ना करे। बिजली की मैन स्विच बंद कर दे। भूकंप की वजह से बड़े बड़े घरो और पाइपलाइनो में भयंकर आग लग सकती है। इससे और अधिक लोगो की जान जा सकती है। कई तरह के बिजली उपकरणों के कारण और अधिक भयंकर हादसा हो सकता है। इसलिए सावधानी बरतनी ज़रूरी है। समुद्र में जब भूकंप आता है ,तो वहां ऊँची लहरों का निर्माण होता है। यह सब विनाश भूकंप की ही देन है।
भूकंप आने से पूर्व मनुष्य को कोई चेतावनी नहीं मिलती है। लोगो को भूकंप के बारे में पहले से कुछ जानकारी नहीं मिलती है। कभी भूकंप की गति कम होती है , लोग इसे भूल जाते है। जब भूकंप अपने चरम सीमा पर होता है , तो गंभीर घाव दे जाता है। भूकंप अचानक दस्तक देती है और सब कुछ तहस नहस कर देती है।
यह सबसे घातक प्राकृतिक आपदा है। इससे लोगो की जिंदगी और संपत्ति सब लूट जाती है। भूकंप की उत्पत्ति जहां होती है , उसे भूकंप केंद्र कहा जाता है। भूकंप जैसे महाविनाश को रोकना असंभव है। मनुष्य को इसके प्रभाव को कैसे कम किया जाए , इस पर विचार करना चाहिए। मनुष्य भूकंप के कष्टों को कम ज़रूर कर सकता है। सामाजिक संस्थाएं ग्रसित जगहों में जाकर पीड़ित लोगो की मदद करती है। सरकार पीड़ित लोगो के पुनः स्थापना के लिए सरकारी अनुदान देती है। राहत कोष जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती है। मनुष्यो के औद्योगीकरण और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में तीव्र गति की उन्नति ने इन भयानक प्राकृतिक आपदाओं को जन्म दिया है। मनुष्य को इस पर नियंत्रण करना बहुत ज़रूरी है।
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1 thought on “भूकंप पर निबंध (प्राकृतिक आपदा)”
Well l think u could have posted 200-300 words limitation too. Coz there situation in which we don’t need much words and of course least words.So for that situation 200-300 words is perfect. I just wanted to make u know about it……..
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Essay on earthquake in hindi भूकंप पर निबंध.
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Essay on Earthquake in Hindi
प्रकृति का स्वभाव बड़ा विचित्र है – कभी कल्याणकारी तो कभी विनाशकारी। प्रकृति कब, कैसे और क्या रूप धारण कर लेगी, इसे समझ पाना अभी तक मनुष्य के बस की बात नहीं है। ज्ञान-विज्ञान की उन्नति के कारण यह कहा जाता है कि आज मनुष्य ने प्रकृति के सभी रहस्यों को जान लिया है और सुलझा लिया है, किन्तु यह बात सच नहीं जान पड़ती। मौसम-विज्ञानी घोषणा करते हैं कि अगले चौबीस घंटों में तेज वर्षा होगी या कड़ाके की ठंड पड़ेगी, किन्तु होता कुछ और ही है। वर्षा और ठंड के स्थान पर चिलचिलाती धूप खिल उठती है। विज्ञान और वैज्ञानिकों की जानकारियों और सफलताओं का सारा दंभ धरा का धरा रह जाता है। सच तो यह है कि प्रकृति अनंत है और उसका स्वभाव अबूझ। बाढ़, सूखा, अकाल, भूकंप प्रकृति के विनाशकारी रूप के ही पर्याय हैं जो असमय मानव जीवन में हाहाकार मचा देते है।
प्राकृतिक आपदाओं में भूकम्प ही सबसे अधिक विनाशकारी होता है। सचमुच भूकंप विनाश का दूसरा नाम है। इसके कारण जहां लाखों मकान धराशायी हो जाते हैं, वहीं बड़ी संख्या में लोग असमय ही मृत्यु का ग्रास बन जाते हैं। कितने अपाहिज और लूले-लँगड़े होकर जीवन जीने को मजबूर हो जाते हैं। कभी-कभी तो पूरा शहर ही धरती के गर्भ में समा जाता है और नदियाँ अपना मार्ग परिवर्तित कर लेती हैं। भूतल पर नए भू-आकार जन्म ले लेते हैं, जैसे कि द्वीप, झील, पठार आदि। कभी-कभी जलाच्छादित भूमि समुद्र से बाहर निकल आती है। भूतल पर आए परिवर्तन मनुष्य के जीवन को भी प्रभावित करते हैं।
भूकंप शब्द का अर्थ होता है – पृथ्वी का हिलना। पृथ्वी के गर्भ में किसी प्रकार की हलचल के कारण जब धरती का कोई भाग हिलने लगता है, कंपित होने लगता है तो उसे भूकंप की संज्ञा दी जाती है। अधिकतर कंपन हल्के होते हैं और उनका पता नहीं चलता, न ही उनका हमारे जीवन पर कोई बुरा प्रभाव पड़ता है। मुख्य रूप से हम पृथ्वी के उन झटकों को ही भूकंप कहते हैं, जिनका हम अनुभव करते हैं। भूकंप के मुख्य कारणों में पृथ्वी के भीतर की चट्टानों का हिलना, ज्वालामुखी का फटना आदि हैं। इनके अतिरिक्त भू-स्खलन, बम फटने तथा भारी वाहनों या रेलगाड़ियों की तीव्र गति से भी कंपन पैदा होते हैं।
देश के इतिहास में सबसे भयानक भूकंप 11 अक्तूबर 1737 में बंगाल में आया था जिसमें लगभग तीन लाख लोग काल के गाल में समा गए थे। महाराष्ट्र के लातूर और उस्मानाबाद जिलों में आए विनाशकारी भूकंप ने करीब 40 गाँवों में भयानक तबाही मचाई। इसी कड़ी में 26 जनवरी, 2001 का दिन भारतीय गणतंत्र में काला दिन बन गया। उस दिन सुबह जब पूरा राष्ट्र गणतंत्र दिवस मना रहा था, प्रकृति के प्रलयंकारी तांडव ने भूकम्प का रूप लेकर गुजरात को धर दबोचा। देखते ही देखते भुज, अंजार और भचाऊ क्षेत्र कब्रिस्तान में बदल गए। गुजरात का वैभव कुछ ही क्षणों में खंडहरों में परिवर्तित हो गया। बहुमंजिली इमारतें देखते ही देखते मलबे के ढेर में बदल गईं। चारों ओर चीख-पुकार, बदहवासी और लाचारी का आलम था। अचानक हुई इस विनाशलीला ने लोगों के कंठ से वाणी और आँख से आंसू ही छीन लिए।
रैक्टर पैमाने पर गुजरात के इस भूकंप की तीव्रता 6.9 थी। इसका केन्द्र भुज से 20 कि-मी उत्तर-पूर्व में था। इस त्रासदी में हजारों की संख्या में लोग काल कवलित हो गए और कई हजार घायल हो गए, और लगभग एक लाख लोग बेघर हो गए। सारा देश इस त्रासदी में गुजरात के साथ था। सर्वप्रथम क्षेत्रीय लोग और स्वयं सेवी संस्थाओं ने राहत और बचाव कार्य आरम्भ किया। मीडिया की अहम भूमिका ने त्रासदी की गंभीरता का सही-सही प्रसारण कर भारत सरकार को झकझोरा और भारत सहित समूचे विश्व को सहायता के लिए उद्वेलित कर दिया। सारा जनमानस सहायता के लिए उमड़ पड़ा। भारत के कोने-कोने तथा विश्व के अनेक देशों से सहायता सामग्री का अंबार लग गया। सहायता के लिए धन-राशि के साथ-साथ अन्य आवश्यक सामग्री भी पहुंचने लगी। देश की तीनों सेनाओं के सैनिक तथा कई समाज सेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता भी सहायता-कार्य में जुट गए। इस त्रासदी में करोड़ों रुपए की निजी तथा सार्वजनिक सम्पत्ति के नुकसान होने का अनुमान आंका गया।
क्या मनुष्य सदैव इस विनाशलीला का मूकदर्शक बना रहेगा, इस त्रासदी को भोगता रहेगा ? यद्यपि विज्ञान ने भूकंप की पूर्व सूचना देने के सम्बन्ध में उल्लेखनीय प्रगति की है, उपग्रह भी इस दिशा में काफ़ी सहायक सिद्ध हो रहे हैं। तथापि इन भूकंपों को कैसे रोका जा सकता है इस दिशा में अभी तक कोई निर्णायक सफलता प्राप्त नहीं हुई है। आज तो स्थिति यह है कि विज्ञान जब तक कोई और नया चमत्कार न दिखला दे, तब तक मनुष्य को भूकंप की त्रासदी को किसी न किसी रूप में भोगना ही पड़ेगा। आशा है कि निकट भविष्य में विज्ञान कोई ऐसा चमत्कार दिखाएगा, जिससे मानव जाति इस त्रासदी से मुक्त हो सकेगी।
महाराष्ट्र का विनाशकारी भूकंप
30 सितम्बर, 1993 को रात करीब तीन बजकर छप्पन मिनट पर महाराष्ट्र की भूमि की कोख में भयंकर हलचल शुरू हुई। भूकंप का एक अति तीव्र झटका आया। धरती कांपने लगी। प्रकृति की विनाश लीला आरंभ हो चुकी थी। आप ने किताबों अखबारों या अन्य माध्यमों से इस भयंकर भूकंप के बारे में अवश्य सुना होगा। आपके माता-पिता को तत्कालीन राष्ट्रपति डा। शंकरदयाल शर्मा की वह भावुकता से सराबोर आह्वान अवश्य याद होगा, जिसे उन्होंने जनता के नाम संप्रेषित किया था। उन्होंने नम आँखों से सारे देश के नागरिकों से इस राष्ट्रीय आपदा को सहन करने में सहयोग देने की नैतिक अपील की थी और उसका व्यापक प्रभाव भी देखने को मिला था। लोगों ने भूकपपीड़ितों की तन-मन-धन से सहयता की थी। डॉक्टरों, सेवादारों और बचाव कर्मियों की टोलियां तुरन्त ही महाराष्ट्र के लिए पूरे देश भर से निकलने लगी थीं। सरकारी तौर पर भी इस आपदा से मुक्ति का प्रयास व्यापक पैमाने पर किया जा रहा था।
रात्रि के समय आने वाला यह भूकंप अति विनाशकारी सिद्ध हुआ। उसने निद्रा में डूबे हुए लोगों को सदा-सदा के लिए चिरनिद्रा में सुला दिया। लोग जिस स्थान पर सो रहे थे, इस विनाशकारी भूकंप ने उन्हें उनके स्थान पर दफन कर दिया। जो कभी उनका शयन कक्ष हुआ करता था, वही क्षणभर में उनकी कब्र बन गया। इस भूकंप का प्रभाव अत्यंत व्यापक था। देश-विदेश तक में इस की खबरें आयी और इसे सदी का भयानक भूकंप बताया गया। रेक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 6.4 बताई गयी। जिस गहन रात्रि में यह भूकंप आया था वह रात्रि एक प्रकार से काल की क्रूरता का एक खेल सी बन गयी थी। इस भूकंप का पहला झटका 3.56 मिनट तक महसूस किया गया और दूसरा 4.42 मिनट तक इस विनाशलीला की गति यहीं पर नहीं रुकी। कुछ समय बाद एक तीसरा झटका भी आया, जो करीब 6.40 मिनट तक महसूस किया गया।
एक पाश्चात्य भू-वैज्ञानिक का स्पष्ट मानना था कि इस तीव्रता एवं क्षमता वाला भूकंप एक वृहद क्षेत्र को अतिशीघ्र ध्वस्त कर देने की प्रबल क्षमता रखता है। हुआ भी वही, महाराष्ट्र का एक बड़ा क्षेत्र इसकी चपेट में आया और बुरी तरह से ध्वस्त हो गया। महाराष्ट्र के लातूर से लेकर कर्नाटक के गुलबर्गा तक इसका प्रभाव देखा गया। किन्तु इस भूकंप ने जिस क्षेत्र को भयावह रूप से बर्बाद किया, वह था महाराष्ट्र के लातूर और उस्मानाबाद जिले के उभरेगा और किल्लारी तालुका नामक कस्बे। इन क्षेत्रों में इस रात्रि को मृत्यु का नंगा नाच होता रहा। मानो पृथ्वी अपना स्वाभाविक धर्म छोड़कर मनुष्य का शत्रु हो गयी हो और उसे अपना ग्रास बनाने की भावना से आप्लावित हो रही हो। मनुष्य ही नहीं, पशु-पक्षी, वृक्ष आदि सभी इस विनाशलीला का शिकार हुए। तड़पते हुए मानव, असहाय होकर मृत्यु को अपनी आंखों के सामने खड़ा देख रहे थे। मानों समस्त प्रकृति ही नहीं अपितु ब्रम्हा भी अपनी मानव-संतान से मोह तोड़ चुके हों। बारिस के कहर ने इस विनाशलीला को और भी भयानक बना दिया। तेज बारिस शुरू हो गयी और इसके कारण बचाव कार्य शिथिल होता रहा। जिस शीघ्रता और अनुपात में भूकंप पीड़ितों को सहायता चाहिए थी वह उन्हें सरकार चाहकर भी नहीं दे सकी। किन्तु यह स्थिति बहुत देर तक बनी नहीं रह सकी। भारतीयों की यही विशेषता है कि समय पड़ने पर वह फिर किसी भी प्रकार की प्रतिकूलता को आड़े नहीं आने देते, अपितु ऐसी प्रतिकूलताएं उन्हें अपने कार्य के प्रति और भी जुझारू बना देती हैं।
सरकार ने भी अपने मानवीय सरोकारों को इस मौकेपर भूलाया नहीं। जिस भांति भी संभव हुआ, प्रभावित क्षेत्र को आवश्यक सहायता प्रदान की जाती रही। सहायता राशि के रूप में केन्द्र सरकार ने करोड़ों रुपए प्रदान किए। राज्य सरकारों ने भी अपने निवासियों के दुःख दर्द को पूरी तरह समझा और उनके पुनर्वास के लिए हर संभव सरकारी सहायता प्रदान की। किन्तु जैसे कहा भी जाता है कि भाग्य में जो लिखा होता है वही होता है, करीब 2 लाख लोग इससे प्रभावित हुए, जिसमें मरने वालों की संख्या हजारों में थी।
सरकार को इस प्रकार की आपदाओं से देशवासियों को बचाने के लिए एहतियाती कदम उठाने चाहिए और नयी तकनीक ग्रहण करनी चाहिए ताकि ऐसे प्रकोप के प्रभाव को सीमित किया जा सके।
सन् 1991 का विनाशकारी भूकम्प
20 अक्टूबर सन् 1991 की वह गहरी रात्रि हम भारतीयों के लिए सचमुच एक प्रलयकारी रात्रि सिद्ध हुई। उस दिन करीब 45 सेकन्ड तक की समय अवधि का एक भकंप आया था जिसकी तीव्रता विशेषज्ञों ने रिएक्टर पैमाने के अनुसार 6।1 बतलायी। इसे करीब 330 किलो टन परमाणु विस्फोट के बराबर कहा जा सकता है। इस भूकंप की जो रिर्पोटिंग बी।बी।सी लंदन ने की थी, उसे देखकर ही हम इस भूकंप से प्रभावित क्षेत्र में हुए धन-बल और जन-बल के भयानक विनाश की सहज ही कल्पना कर सकते हैं। उसके अनुसार “भूकंप में मरने वालों की संख्या तीन हजार से उपर पहुँच चुकी है और लगभग दस हजार लोग घायल हुए हैं।” इस भयंकर भूकंप से 175 करोड़ रूपये की धनराशि का नुकसान हुआ।
भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है और यह अन्य प्राकृतिक आपदाओं की तुलना में ज्यादा घातक और विनाशकारी प्राकृतिक आपदा होती है। इसका कारण यह भी है कि इसके कारण मानव-समाज कतिपय अन्य अपदाओं और समस्याओं से घिर जाता है। भौगोलिक-विशिष्टता भी इस भूकंप रूपी प्राकृतिक आपदा की मार को और ज्यादा मारक बना देती है। जैसे 1991 में आया यह भूकंप गढ़वाल और कुमाऊँ मण्डल को बना दिया। यह भू-क्षेत्र भौगोलिक रूप से एक पर्वतीय क्षेत्र है। इस भू-क्षेत्र में अनेक बड़े-बड़े पर्वतों के साथ साथ अनेक गहरी घाटियां भी विद्यमान हैं। साथ ही इनके मध्य में अपने पूरे वेग से प्रवाहित होने वाली अनेक गहरी नदियां भी अवस्थित हैं। यह सब मिलकर इस भू-क्षेत्र को सामान्य रूप से एक अत्यंत विषम स्थल का रूप दे देते हैं। सन् 1991 में जो विनाशकारी भूकंप इस क्षेत्र में आया, उसकी विनाशलीला को और अधिक बढ़ाने में इस भू-क्षेत्र की भौगोलिक-विशिष्टता ने भी अपना पूरा योग दिया।
सन् 1991 का यह विनाशकारी-भूकंप जिस समय आया था वह समय गहन रात्रि का समय था। सारे लोग दिन भर के परिश्रमपूर्ण कार्यों को सम्पन्न करके थकान मिटा रहे थे और अगले दिन के लिए पूर्णत: तैयार होने के लिए आरामदायक मीठी नींद ले रहे थे। कहा भी जाता है कि सोया हुआ आदमी मरे हुए आदमी के सादृश ही होता है। उसे अपने आस-पास के वातावरण का किंचित मात्र भी ज्ञान या बोध नहीं रहता। वह पूर्णत: एक गहरी नींद में डूबा होता है। 20 अकूबर का यह रात्रि भी इसी प्रकार की स्थिति में थी। इस भू-क्षेत्र का प्रत्येक मनुष्य गहरी नींद में डूबा हुआ था। और तभी दुर्भाग्य ने अपना प्रलयंकारी खेल खेलना आरम्भ कर दिया। हजारों की संख्या में लोग इस प्रलयंकारी भूकंप की चपेट में आ गये। वो जहां सो रहे थे वहीं दफन हो गये। उनके कठिन परिश्रम से बनाए गये मकान उन्हीं का मृत्यु का सामान बन गये। वो मकान उन्ही के उपर भरभरा कर आ गिरे और लोग अपने ही घरों के मलवे में दफन होने लगें।
इस भूकंप की तीव्रता अत्यधिक थी। इसके कारण वह समूचा पर्वतीय क्षेत्र व्यापक रूप से आक्रांत हो उठा और पर्वतों में स्खलन उत्पन्न हो गया। भू-स्खलन के कारण यह विनाशलीला और भी बढ़ गयी। पर्वत टूट-टूटकर नीचे बह रही नदियों में आ गिरे जिसके फलस्वरूप नदियों का बहाव भी बाधित हो गया और उसका पानी आस-पास के क्षेत्रों में भर गया। एकदम सी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी। इस प्रकार हम हर तरफ से देखें तो यही कहा जा सकता है कि गढ़वाल और कुमाऊँ मण्डल में आया यह भूकंप अनेक रूपों में दिखलायी पड़ा। यह अपने साथ अन्य अनेक दुश्कर आपदाएं लिए हुए आया था।
इस भूकंप का जो प्रभाव इस क्षेत्र के लोगों के जीवन पर पड़ा था वह अत्यंत व्यापक और विस्तृत था। इससे न केवल जन-हानि और धन हानि ही हुई थी अपितु वहाँ के विकास हेतु कियान्वित की गयी महत्वपूर्ण योजनाएं भी बाधित हो गयी थी। इन्हीं में से एक योजना थी ‘टिहरी बांध’ की महत्वाकांक्षी योजना। इस भूकंप ने इस महत्वपूर्ण योजना को लगभग बर्बाद ही कर दिया था। बाद में, इस योजना को पुन: गतिशील और सुचारू करने में सरकार को अतिरिक्त पर्याप्त धन का व्यय करना पड़ा।
भूकंप ने इस मार्ग के आवागमन के प्राय: हर मार्ग को बाधित कर दिया। अनेक पुलों का नाश हो गया। यह धर्म-भूमि माना जाने वाला क्षेत्र है। पूरे वर्ष इस क्षेत्र में विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है। और जिस समय यह भूकंप आया उस समय भी इस क्षेत्र में अनेक विदेशी पर्यटक विद्यमान थे। उनके वहाँ फँस जाने से समस्या और भी ज्यादा गंभीर हो गयी थी।
उस समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने इस आपदा से पूर्णत: निपटने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए। नाना भांति की सहायता वहाँ तत्काल भेजी गयी। केन्द्र सरकार ने भी समस्या की विकरालता को देखते हुए पानी की तरह पैसा बहाया। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यह एक ऐसी आपदा थी जिसने भारत को हिला कर रख दिया था।
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भूकंप पर निबंध Essay on Earthquake in Hindi
इस लेख में हमने भूकंप पर निबंध (Essay on Earthquake in Hindi) आकर्षक रूप से लिखा है। इस लेख में भूकंप क्या है तथा भूकंप आने के कारण साथ ही भूकंप से बचाव के उपाय सरल रूप में दिया गया है।
Table of Contents
प्रस्तावना (भूकंप पर निबंध Essay on Earthquake in Hindi)
प्रकृति समय-समय पर स्वयं में परिवर्तन करती रहती है। जिसे हम भूकंप, बाढ़ तथा चक्रवात के रूप में देख सकते हैं। भूकंप आने के पीछे मनुष्य का पर्यावरण के तरफ उदासीन भाव भी होता है। आज मनुष्य स्वार्थवश प्रकृति का दोहन कर रहा है।
जब मनुष्य द्वारा या प्राकृतिक रूप से पर्यावरण में व्यतिरेक उत्पन्न होता है तब प्रकृति खुद को अपने मूल स्थिति में लाने के लिए भूकंप का सहारा लेती है।
भूकंप के कारण सजीव और निर्जीव दोनों की हानि होती है लेकिन मानव जाति कुछ ही दिनों में प्रकृति का दोहन फिर से शुरू कर देती है।
आज पर्यावरण दोहन अपने चरम पर है। वैज्ञानिकों ने एक स्वर में कहा है की आज के जितना प्रकृति दोहन पहले कभी नहीं हुआ है। जिसके कारण आज तापमान तेजी से बढ़ रहा है। असमय वर्षा और मौसम का बदलाव तथा भूकंप से बड़ी मात्रा में विनाश हो रहा है।
अगर प्रकृति के दोहन को रोक कर फिर से उसे पहले जैसा नहीं किया गया तो वह समय दूर नहीं जब धरती पर जीवन का नामोनिशान नहीं बचेगा।
भूकंप क्या है? What is Earthquake in Hindi?
जब धरती की प्लेटें आपस में टकराती हैं तब उनमें कंपन्न उत्पन्न होता है जिसे भूकंप कहा जाता है। भूकंप को सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
भूकंप के वक़्त होने वाले कंपन्न से बड़ी मात्रा में धन तथा जान माल का नुकसान होता है जिसकी भरपाई करने में काफी समय गुजर जाता है।
इसकी अधिक तीव्रता के कारण जमीन फट सकती है तथा हिमपर्वत भी पिघल सकते हैं जिसके कारण बाढ़ या सुनामी जैसे हालात भी बन जाते हैं।
भूकंप के चार प्रकार होते हैं। विवर्तनिक, ज्वालामुखी, विस्फ़ोट तथा पतन। विवर्तनिक प्रकार के भूकंप को सामान्य भूकंप कहते हैं। जब भूकंप का कंपन्न अधिक होता है तब उसके कंपन्न से ज्वालामुखी की परते खुल जाती है और ज्वालामुखी जागृत हो जाता है।
कई बार जब भूकंप आने के बाद धरती फट जाती है या किसी जगह से किन्ही गैस या तेल का प्रवाह निकलने लगता है, तो उसे विस्फ़ोटक प्रकार का भूकंप कहते हैं।
जब भूकंप के कारण समुन्द्र अपने स्तर से ऊँचा उठ जाता है और बड़ी-बड़ी लहरे उत्पन्न करने लगता है और सुनामी की शकल में सब कुछ तहस नहस कर देता है तो उसे पतन प्रकार के भूकंप के नाम से जाना जाता है।
भूकंप आने कारण Reasons of Earthquake in Hindi
पृथ्वी के अंदर कई प्रकार के तरल तथा पत्थर की प्लेटें समाई हुई हैं। जब यह प्लेटें टूटती हैं या अपने स्थान से खिसकती हैं, तो अचानक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है और फलस्वरूप उन दो चट्टानों के टकराने से एक कंपन्न उत्पन्न होता है जिसे भूकंप के नाम से जाना जाता है।
पृथ्वी एक निश्चित गति से सूर्य का चक्कर लगा रही है, साथ ही अपनी धुरी पर भी घूम रही है। लेकिन किन्हीं कारणवश इसकी प्राकृतिक बनावट में व्यतिरेक उत्पन्न होता है तो भूकंप आते हैं।
आज जिस प्रकार पेड़ों की कटाई हो रही है तथा प्रदूषण का स्तर बढ़ रहे हैं। यह सभी भी भूकंप के कारणों में शामिल हैं। पेड़ पौधे पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखते हैं। पेड़ों की जड़ें जमीन में समाई होती हैं जिसके कारण जमीन एक दूसरे से जकड़ी होती हैं।
वृक्ष वर्षा चक्र को बनाए रखते हैं जिसके कारण धरती पर अनुकूल समय पर बरसात होती है तथा भूगर्भ की गर्मी कम होती है। इसके कारण इंसान को पीने का पानी धरती के ऊपरी स्तर पर ही मिल जाता है और उसे जमीन को गहरा खोदने की जरूरत नहीं पड़ती।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण अम्ल वर्षा तथा ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोतरी हो रही हैं। जिसके कारण पेड़ पौधों तथा जमीन को नुकसान हो रहा हैं। यह सभी कारण हैं जिससे भूकंप आते हैं।
भूकंप के प्रभाव Impact of Earthquake in Hindi
मानव जीवन के लिए भूकंप अथवा कोई भी प्राकृतिक आपदाएं हानिकारक ही साबित होती हैं। भूकंप के प्रभाव से पशु पक्षी तथा इंसान कोई भी नहीं बच पाता।
भूकंप को रिक्टर स्केल के मापक पर मापा जाता है और 4 से ज्यादा रिक्टर स्केल के भूकंप को बहुत ही ज्यादा हानिकारक माना जाता है।
भूकंप के प्रभाव से बड़े-बड़े पेड़ अपनी जड़े खो देते हैं, ज्वालामुखी सक्रिय हो जाते हैं और धन का एक बड़े भाग का यूं ही नाश हो जाता है, जिसमें बड़ी बड़ी बिल्डिंगें, रेलवे ट्रैक, रोड तथा सांस्कृतिक विरासत भी शामिल हैं।
जापान में भूकंप की मात्रा बेहद अधिक होती हैं। जापान पूरी दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां पर एक भी प्राकृतिक नदियां नहीं है और जिसने भूकंप बाढ़ सुनामी से सबसे अधिक नुकसान झेला है। जापान में पांच रिक्टर स्केल के भूकंप को बेहद सामान्य माना जाता है।
इतिहास का सबसे खतरनाक भूकंप सन 1935 क्वेटा में आए भूकंप को माना जाता है। क्वेटा जैसे शहर की सुंदरता एक रात में नष्ट हो गई थी।
जिस स्थान को प्रवासियों के लिए स्वर्ग माना जाता था उस पर एक रात में कब्रिस्तान बनने का कलंक लग गया था। हजारों लाखों लोग नींद में ही काल के ग्रास बन गए थे और लाखों लोग घर से बेघर हो गए थे।
भूकंप से बचाव के उपाय (प्रबंधन) Earthquake Prevention Measures in Hindi
आधुनिक विज्ञान ऐसी कोई मशीन नहीं बना पाया है जिससे आने वाले भूकंप की जानकारी पहले से हो सके। लेकिन ऐसे कई बचाव के उपाय पुरानी किताबों में पाए गए हैं जिनसे बचाव मुमकिन हो सकता है। भूकंप से बचाव के रूप में सबसे पहला कदम मनुष्य का पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार होना है।
आज हम प्रकृति के प्रति बिल्कुल भी सचेत नहीं है। इंसानी मस्तिष्क ने ऐसी मशीनें वह हथियार बनाए हैं जिससे प्रकृति का सीधे नाश होता है। अगर प्रकृति के प्रकोप से बचना है तो ऐसी मशीनों को नष्ट करना होगा।
उदाहरण के तौर पर एयर कंडीशनर में से निकलती गैस CFC क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस को लिया जा सकता है। क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस का एक अणु ओजोन स्तर के एक लाख परमाणुओं का नाश करता है।
भूकंप से बचाव के लिए हमें वन संरक्षण को बढ़ाना होगा तथा वृक्षारोपण में तेजी लानी होगी। युद्ध के स्थान पर बातचीत को तवज्जो देना होगा क्योंकि पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान हथियारों के प्रयोग से होता है।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में अपने भूकंप पर निबंध (Essay on Earthquake in Hindi) बड़ा आशा ही आलेख आपको सरल तथा जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।
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Essay on Earthquake in Hindi : भूकंप आने का कारण और इस से बचाव के उपाय
- --> By Aryavi Team -->
- 11 Min Read
- Oct 11, 2023 10:34
भूकंप पृथ्वी की सतह पर ज़मीन के हिलने, विस्थापन और व्यवधान पैदा करके प्रकट होते हैं। ऐसे मामलों में जहां एक बड़े भूकंप का केंद्र तट से दूर होता है, यह सुनामी को ट्रिगर करने के लिए समुद्र तल को पर्याप्त रूप से विस्थापित कर सकता है। इसके अतिरिक्त, भूकंप में भूस्खलन को प्रेरित करने की क्षमता होती है जिससे उनका विनाशकारी प्रभाव बढ़ जाता है।
भूकंप मुख्य रूप से भूवैज्ञानिक दोष के टूटने (geological fault ruptures) का परिणाम होते हैं, लेकिन वे ज्वालामुखी गतिविधि, भूस्खलन, खनन विस्फोट और यहां तक कि परमाणु परीक्षणों से भी उत्पन्न हो सकते हैं। प्रारंभिक विच्छेदन के बिंदु को हाइपोसेंटर (hypocenter) या फोकस के रूप में जाना जाता है, जबकि अधिकेंद्र (epicenter) पृथ्वी की सतह पर सीधे हाइपोसेंटर के ऊपर का बिंदु है। अपने व्यापक अर्थ में, "भूकंप" शब्द किसी भी भूकंपीय घटना को शामिल करता है, चाहे वह प्राकृतिक हो या मानव-प्रेरित, जो भूकंपीय तरंगें (seismic waves) उत्पन्न करती है, जो हमारे ग्रह पर इन शक्तिशाली भूवैज्ञानिक घटनाओं के गहरे और विविध प्रभावों को उजागर करती है।
भूकंप के प्रमुख उदाहरण (Major Examples of Earthquake)
चीन में 1556 का शानक्सी (Shaanxi) भूकंप इतिहास के सबसे विनाशकारी भूकंपों में से एक है, जिसमें 830,000 से अधिक लोगों की जान चली गई। इस विनाशकारी घटना ने मुख्य रूप से याओडोंग (yaodongs) के नाम से जाने वाले आवासों को प्रभावित किया, जो लोएस पहाड़ियों में थे, जिसके परिणामस्वरूप संरचनात्मक पतन के कारण कई मौतें हुईं। 20वीं सदी में, चीन में 1976 का तांगशान भूकंप सबसे घातक साबित हुआ, जिससे 240,000 से 655,000 लोगों की जान चली गई। रिकॉर्ड किया गया सबसे बड़ा भूकंप, जिसकी तीव्रता 9.5 थी, 1960 में चिली (Chile) में आया था, जिससे अगले सबसे शक्तिशाली भूकंप की तुलना में दोगुनी ऊर्जा निकली। जबकि मेगाथ्रस्ट भूकंप तीव्रता के मामले में शीर्ष दस में हावी हैं, 2004 का हिंद महासागर भूकंप अद्वितीय है क्योंकि यह बड़े पैमाने पर और सबसे घातक में से एक है, जो अक्सर आने वाली सुनामी के कारण होता है। उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में आम तौर पर घनी आबादी वाले क्षेत्र या समुद्र तट शामिल होते हैं, जहां भूकंप और सुनामी महत्वपूर्ण खतरे पैदा करते हैं, जो अक्सर कमजोर, गरीब क्षेत्रों में भूकंपीय भवन कोड के खराब प्रवर्तन के कारण बढ़ जाते हैं।
भूकंप के कारण (Causes of Earthquake in Hindi)
भूकंप पृथ्वी की पपड़ी (Earth's crust) के भीतर अचानक टेक्टोनिक गतिविधि का परिणाम है, जो मुख्य रूप से टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों से प्रेरित होता है। पृथ्वी की पपड़ी इन विशाल प्लेटों में विभाजित है, जो धीरे-धीरे उनके नीचे अर्ध-तरल एस्थेनोस्फीयर (semi-fluid asthenosphere) के ऊपर सरकती हैं। जब ये प्लेटें परस्पर क्रिया करती हैं, अभिसरण (convergent), अपसारी (divergent) या परिवर्तित सीमाएँ (transform boundaries) बनाती हैं, तो भूकंपीय घटनाएँ घटित हो सकती हैं।
सबसे विनाशकारी भूकंप अक्सर अभिसरण सीमाओं पर होते हैं जहां प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं या फिसलती हैं। यह अंतःक्रिया प्लेट के किनारों पर अत्यधिक दबाव और घर्षण पैदा करती है। जैसे-जैसे तनाव बढ़ता है, इन सीमाओं पर चट्टानें अंततः टूट जाती हैं और खिसक जाती हैं, जिससे संग्रहित ऊर्जा अचानक बाहर निकल जाती है, जो भूकंपीय तरंगों के रूप में प्रकट होती है, जिससे भूकंप आता है।
टेक्टोनिक गतिविधियों के अलावा, अन्य भूवैज्ञानिक गतिविधियाँ भी भूकंप को ट्रिगर कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, ज्वालामुखीय गतिविधि भूकंप को प्रेरित कर सकती है जब मैग्मा बढ़ने से चट्टानों के आसपास दरारें पड़ जाती हैं। इन विक्षोभों (disturbances) के परिणामस्वरूप कंपन उत्पन्न होता है जो सभी दिशाओं में फैलता है और जमीन को हिला देता है। भूकंपमापी इन भूकंपीय तरंगों का पता लगाते हैं।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि भूकंप मूल रूप से तनाव संचय (stress accumulation) और उसके बाद शॉकवेव्स के रूप में ऊर्जा के निकलने से उत्पन्न होते हैं। भूकंप की तीव्रता इस प्रक्रिया के दौरान निकलने वाली ऊर्जा की मात्रा से संबंधित होती है, जिससे यह उनके प्रभाव का आकलन करने में एक महत्वपूर्ण पैरामीटर बन जाता है।
भूकंप के प्रभाव (Effects of Earthquake)
भूकंप के प्रभाव व्यापक और विनाशकारी हो सकते हैं, जिसमें प्राकृतिक और निर्मित पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ मानवीय प्रभाव भी शामिल हैं:
1. कंपन और ज़मीन का टूटना: भूकंप का प्राथमिक प्रभाव ज़मीन का हिलना होता है। इस झटके की गंभीरता भूकंप की तीव्रता, भूकंप के केंद्र से निकटता और स्थानीय भूवैज्ञानिक स्थितियों जैसे कारकों पर निर्भर करती है।
2. मिट्टी का द्रवीकरण: भूकंप के दौरान, जल-संतृप्त दानेदार सामग्री (water-saturated granular material), जैसे रेत, अस्थायी रूप से अपनी ताकत खो सकती है और तरल में बदल सकती है। यह घटना, जिसे मृदा द्रवीकरण (soil liquefaction) के रूप में जाना जाता है, इमारतों और संरचनाओं के झुकने या द्रवीकृत जमाव में डूबने का कारण बन सकती है।
3. मानवीय प्रभाव: भूकंप से चोटें और जीवन की हानि हो सकती है, विशेषकर घनी आबादी वाले या खराब निर्माण वाले क्षेत्रों में। सड़कें, पुल, सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क, पानी और बिजली आपूर्ति प्रणालियाँ और संचार नेटवर्क सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे क्षतिग्रस्त या बाधित हो सकते हैं। अस्पताल, पुलिस और अग्निशमन सेवाएँ भी प्रभावित हो सकती हैं, जिससे आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रयासों में बाधा आ सकती है।
4. संपत्ति की क्षति: इमारतें और संरचनाएं ढह सकती हैं या अस्थिर हो सकती हैं, जिससे संपत्ति की क्षति हो सकती है। इस तरह की क्षति के आर्थिक परिणाम महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
5. भूस्खलन: भूकंप ढलान में अस्थिरता पैदा कर सकता है, जिससे भूस्खलन हो सकता है, जो अतिरिक्त खतरे पैदा करता है और बचाव और पुनर्प्राप्ति प्रयासों (recovery efforts) में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
6. आग: विद्युत शक्ति और गैस लाइनों को नुकसान के परिणामस्वरूप आग लग सकती है जिसे नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जिससे संभावित रूप से भूकंप से भी अधिक विनाश और जीवन की हानि हो सकती है।
7. सुनामी: पानी के नीचे के भूकंप सुनामी उत्पन्न कर सकते हैं - बड़ी, विनाशकारी समुद्री लहरें जो तटीय क्षेत्रों में बाढ़ ला सकती हैं, जिससे व्यापक क्षति और जीवन की हानि हो सकती है। सुनामी खुले समुद्र में विशाल दूरी तक यात्रा कर सकती है।
8. बाढ़: यदि बांध क्षतिग्रस्त हो जाते हैं या भूस्खलन से नदियाँ बाधित हो जाती हैं, तो भूकंप अप्रत्यक्ष रूप से बाढ़ का कारण बन सकता है, जिससे बांध विफल हो जाते हैं और बाद में बाढ़ आती है।
भूकंप प्रबंधन (Management of Earthquake)
भूकंप प्रबंधन में तीन प्रमुख पहलू शामिल हैं: भविष्यवाणी (prediction), पूर्वानुमान (forecasting) और तैयारी (preparedness), जिसका लक्ष्य समाज पर भूकंपीय घटनाओं के प्रभाव को कम करना है।
भविष्यवाणी, सबसे चुनौतीपूर्ण पहलू, भविष्य में आने वाले भूकंपों का सटीक समय, स्थान और तीव्रता निर्दिष्ट करना चाहता है। भूकंप विज्ञान में व्यापक शोध के बावजूद, सटीक भविष्यवाणियाँ मायावी बनी हुई हैं। जबकि वैज्ञानिक उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं, किसी विशिष्ट दिन या महीने में भूकंप की घटना को इंगित (pinpointing) करना वर्तमान क्षमताओं से परे है।
दूसरी ओर, पूर्वानुमान, सामान्य भूकंप के खतरों का संभावित रूप से आकलन करने पर केंद्रित है। इसमें किसी विशेष क्षेत्र में विस्तारित अवधि, जैसे कि वर्षों या दशकों में विनाशकारी भूकंपों की आवृत्ति और तीव्रता का अनुमान लगाना शामिल है। अच्छी तरह से समझी गई फॉल्ट लाइनों के लिए, निकट भविष्य में टूटने की संभावना का अनुमान लगाना संभव है।
भूकंप के खतरों को कम करने के लिए, जमीन हिलने से पहले क्षेत्रीय सूचनाएं प्रदान करने के लिए चेतावनी प्रणालियाँ विकसित की गई हैं। ये सिस्टम लोगों को आश्रय पाने के लिए एक संक्षिप्त विंडो (brief window) प्रदान करते हैं, जिससे चोटों और मृत्यु की संभावना कम हो जाती है।
भूकंपीय ताकतों का सामना करने के लिए संरचनाओं को डिजाइन करके भूकंप इंजीनियरिंग तैयारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मौजूदा इमारतों में भूकंप प्रतिरोध में सुधार के लिए भूकंपीय रेट्रोफिटिंग (seismic retrofitting) की जा सकती है।
आपातकालीन प्रबंधन रणनीतियाँ, चाहे वे सरकारों या संगठनों द्वारा लागू की गई हों का उद्देश्य जोखिमों को कम करना और परिणामों के लिए तैयार रहना है। इन रणनीतियों में आपदा प्रतिक्रिया योजना, निकासी मार्ग और विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय (coordination) शामिल है।
भवन की कमजोरियों का आकलन करने और एहतियाती उपायों की योजना बनाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial intelligence) का तेजी से उपयोग किया जा रहा है। इगोर (Igor) जैसी प्रणालियाँ चिनाई वाली इमारतों के लिए भूकंपीय मूल्यांकन और रेट्रोफिटिंग योजना में सहायता करती हैं।
व्यक्तिगत स्तर पर, लोग भूकंप की तैयारी के लिए कदम उठा सकते हैं। इसमें भारी वस्तुओं को सुरक्षित करना, उपयोगिता शटऑफ का पता लगाना (locating utility shutoffs) और भूकंप के दौरान प्रतिक्रिया करने का तरीका जानना शामिल है।
संक्षेप में, भूकंप प्रबंधन में भूकंपीय घटनाओं की भविष्यवाणी और पूर्वानुमान से लेकर इंजीनियरिंग संरचनाओं और तैयारी उपायों को लागू करने तक एक बहुआयामी दृष्टिकोण शामिल है। इन प्रयासों को एकीकृत करके, समुदाय भूकंप के प्रभाव को कम कर सकते हैं ।
सिस्मोग्राफ से क्या मापा जाता है (What is Measured by Seismograph)
भूकंप के दौरान, भूकंपीय तरंगें (seismic waves) पृथ्वी के माध्यम से फैलती हैं, और भूकंपमापी माप (seismographs) के लिए आवश्यक उपकरण के रूप में काम करते हैं। ये उपकरण सीस्मोग्राम (seismograms) उत्पन्न करते हैं, जो भूकंपीय तरंगों से प्रेरित जमीन की गति का डिजिटल ग्राफिकल प्रतिनिधित्व हैं। भूकंपमापी का एक वैश्विक नेटवर्क भूकंपीय घटनाओं के दौरान इन तरंगों की तीव्रता और अवधि का व्यवस्थित रूप से पता लगाता है और उनका आकलन करता है। परिणामी भूकंपीय डेटा वैज्ञानिकों को भूकंपों का विश्लेषण और लक्षण वर्णन करने में मदद करता है, उनके परिमाण और व्यवहार में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, अंततः पृथ्वी की गतिशील प्रक्रियाओं की हमारी समझ में योगदान देता है।
भूकम्प आने पर क्या करना चाहिए (What to do When an Earthquake Occurs)
भूकंप के समय आपकी सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण होती है:
Indoor- अंदर ही रहें, मजबूत फर्नीचर जैसे मेज या टेबल के नीचे जाएं और इसे पकड़ कर रहें (ढ़क जाएं, और पकड़ लें !). खिड़कियों, भारी फर्नीचर या उपकरणों से दूर रहें। रसोई से बाहर निकलें, क्योंकि यह एक खतरनाक स्थान हो सकता है (चीजें आपके ऊपर गिर सकती हैं)। जब भी इमारत झूल रही है या जोखिम है कि आप गिर सकते हैं या गिरी हुई चीजों से चोट आ सकती है, तब भी भागने की कोशिश न करें।
Outdoor- खुद को इमारतों, बिजली की तारों, चिमनीओं, और किसी और चीज से दूर खड़ा कर लें, जो आप पर गिर सकती है।
Car Driving- ध्यानपूर्वक रुक जाएं, लेकिन सावधानी से। अपनी कार को संभवत: सड़क के किनारे में खींचें, पुल या ओवरपास के नीचे या पेड़ों, बिजली की तारों, या साइनों के नीचे न रुकें। भूकम्प के थमने तक अपनी कार में ही बैठे रहें। जब शांति हो जाए, तो सावधानी से ड्राइव करने जारी रखें, सड़क पर टूटी हुई सड़क, गिरी हुई चट्टानों से दूर रहें।
On Hills- गिरने वाले पत्थर, भूस्खलन, पेड़, और अन्य सामग्री से सावधान रहें, जो भूकम्प द्वारा ढलाने (slope) या ढलाने की संभावना हो सकती है, और सुरक्षा के उपायों का पालन करें।
भूकंप प्राकृतिक भूवैज्ञानिक घटनाएँ हैं जो पृथ्वी की पपड़ी के भीतर ऊर्जा की रिहाई (release) के परिणामस्वरूप होती हैं, जिससे भूकंपीय तरंगों का प्रसार होता है। ये घटनाएँ परिमाण में बहुत भिन्न हो सकती हैं और विशेष रूप से घनी आबादी वाले या खराब तैयारी वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण तबाही, जीवन की हानि और आर्थिक क्षति का कारण बन सकती हैं। भूकंप, भूकंप विज्ञान का अध्ययन, उनके कारणों को समझने, उनकी घटना की भविष्यवाणी करने और शमन और तैयारियों के लिए रणनीति विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण है। भूकंप की तैयारी के उपाय, जैसे भूकंप प्रतिरोधी संरचनाएं बनाना और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली लागू करना, इन शक्तिशाली प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने और मानव जीवन और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।
1. भूकंप का कारण क्या है?
भूकंप मुख्य रूप से पृथ्वी की पपड़ी में ऊर्जा की अचानक रिहाई के कारण होते हैं, जो अक्सर दोषों के साथ टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण होता है।
2. भूकंप कैसे मापे जाते हैं?
भूकंपों को सीस्मोमीटर नामक उपकरणों का उपयोग करके मापा जाता है, जो जमीन की गति को रिकॉर्ड करते हैं और एक सीस्मोग्राम उत्पन्न करते हैं। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल या आघूर्ण परिमाण स्केल (मेगावाट) जैसे पैमानों का उपयोग करके निर्धारित की जाती है।
3. क्या भूकंप की सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है?
वर्तमान में, भूकंप कब और कहाँ आएगा, इसकी सटीक और विशिष्ट भविष्यवाणी संभव नहीं है। वैज्ञानिक केवल ऐतिहासिक डेटा और भूवैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर कुछ क्षेत्रों में संभावनाओं का अनुमान लगा सकते हैं।
4. भूकंप रेट्रोफिटिंग (earthquake retrofitting) क्या है?
भूकंप रेट्रोफिटिंग में मौजूदा इमारतों और संरचनाओं को भूकंपीय ताकतों के प्रति अधिक प्रतिरोधी बनाने के लिए संशोधित करना शामिल है, जिससे भूकंप के दौरान क्षति का जोखिम कम हो जाता है।
5. क्या भूकंप के परिणामस्वरूप हमेशा सुनामी आती है?
नहीं, सभी भूकंप सुनामी का कारण नहीं बनते। सुनामी आमतौर पर समुद्र के अंदर आने वाले भूकंपों या बड़ी मात्रा में पानी को विस्थापित करने वाले भूकंपों से जुड़ी होती है।
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बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड की शुरुआत एक अत्यंत घने और गर्म बिंदु से हुई। इसके अनुसार लगभग 14 अरब साल पहले एक विशाल विस्फोट हुआ जिससे समय, स्थान और पदार्थ अस्तित्व में आए। इस सिद्धांत को कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडिएशन व हाइड्रोजन, हीलियम की प्रचुरता जैसे प्रमाणों से समर्थन मिलता है।
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भूकंप पर निबंध | Essay on Earthquake in Hindi
हेलो दोस्तों, आज हमलोग इस लेख में भूकंप पर निबंध के बारे में पड़ेंगे जो कि आपको क्लास 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 व अन्य competitive examination जैसे कि SSC, UPSC, BPSC जैसे उच्चाधिकारी वाले एग्जाम में अत्यंत लाभकारी साबित होंगे। भूकंप पर निबंध (Earthquake essay in Hindi) के अंतर्गत हम भूकंप से संबंधित पूरी जानकारी को विस्तार से जानेंगे इसलिए इसे अंत तक अवश्य पढ़ें।
प्रस्तावना (Introduction)
‘भूकंप’ बस नाम ही काफ़ी है। ‘भू का कंपन’ यह विचार मात्र मानव के मन और मस्तिष्क में कंपन ही उत्पन्न नहीं करता वरन् झकझोर कर रख देता है। जब-जब प्रकृति ने अपने इस रूप के दर्शन कराए हैं, मानव की लाचारी और बेबसी ने घुटने टेक दिए हैं। मनुष्य की सारी प्रगति प्रकृति के इस रूप के समक्ष बौनी दिखाई देती है। प्रकृति के महाविनाश का यह भयानक रूप है जिसकी कोई कल्पना भी नहीं करना चाहता।
लेकिन मनुष्य के कल्पना करने या न करने से प्रकृति के कार्यक्रमों में कोई अन्तर नहीं आता। प्रकृति ही मनुष्य को पालती है, वह आदिकाल से मनुष्य की सहचरी रही है किन्तु उसके अपने क्रियाकलाप भी हैं जिन्हें हम प्राकृतिक परिवर्तन के रूप में समझ सकते हैं। यदि मानव मस्तिष्क इसकी पूर्व जानकारी पा सकता है तो इतना भी मानव जाति के हित में होगा।
भूकंप क्या है? (Earthquake in Hindi)
जब पृथ्वी के भीतर का तरल पदार्थ अत्यधिक गर्म हो जाता है तो इसकी भाप का दबाव बहुत बढ़ जाता है। इस दबाव से धरती की कई सतहों में परिवर्तन होता है, वे इधर-उधर खिसकती हैं, हिलती-डुलती हैं और धरती के गर्भ में उथल-पुथल मचाती हैं। इससे पृथ्वी के ऊपरी स्तर को भी धक्का लगता है और हम इसे भूकंप कहते हैं।
भूकंप से बचाव
हमारे देश की प्रकृति ऐसी नहीं है जहाँ प्रायः भूकंप आते हों, जैसे जापान आदि देशों की है। ऐसे स्थानों पर लोग भूकंप बचाव की क्षमता वाली इमारतों का निर्माण करते हैं तथा लकड़ी आदि का प्रयोग करके छोटे-छोटे निवास स्थान बनाते हैं। वहाँ भूकंप से जान-माल की हानि से बचाव के उपाय किए जाते हैं।
इन्हें भी पढ़ें : सतर्क भारत समृद्ध भारत पर लेख हिंदी में
भूकंप के कारण (Causes of Earthquake)
भूकंप का हल्का-सा झटका बहुत हानिकारक नहीं होता क्योंकि धरती के भीतर रासायनिक प्रक्रिया के कारण हर समय भूगर्भ में हल्के-हल्के झटके लगते रहते हैं जो धरती पर भौतिक रूप में अपने चिह्न प्रकट भी करते हैं। किन्तु जोर के शक्तिशाली झटके महाविनाशी होते हैं। जब पृथ्वी के नीचे स्थित प्लेटो में घर्षण होता है तो वहां दबाव पैदा होता है। जिससे तरल पदार्थ निकलता है जो बहुत ही गर्म होता है। जिसका वाष्प बाहर निकलने का प्रयास करता है।
यही भूकंप का वास्तविक और वैज्ञानिक कारण है। हमारे पुराणों में मान्यता रही है कि धरती शेषनाग के फन पर टिकी है। जब धरती पर पापों का बोझ बढ़ जाता है, तब भगवान शेषनाग ही भूकंप के द्वारा अपना क्रोध प्रकट करते हैं।
भूकंप का प्रभाव (Effect of Earthquake)
इस मान्यता का भी यदि यह अर्थ लिया जाए कि पृथ्वी पर प्रकृति के प्रकोपों को कम या शून्य करने के लिए शान्ति बनाए रखना बहुत ज़रूरी है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है। इसे हम स्वस्थ चिन्तन के साथ लें तो ही अच्छा होगा। भूकंप कुछ सेकंड या मिनट ही रहता है परन्तु इतने कम समय में ही भारी विनाश हो जाता है।
भूकंप के भारी झटके से धरती पर दरारें पड़ जाती हैं और उनमें से गर्म लावा और विषैली वायु बाहर निकलती है। देखते ही देखते बड़ी-बड़ी इमारतें धराशायी हो जाती हैं। कई बार बड़े-बड़े भवन धरती के गर्भ में फँस जाते हैं। हज़ारों लोग मलबे के नीचे दबकर मर जाते हैं या घायल हो जाते हैं। लाखों लोग बेसहारा तथा बेघर हो जाते हैं। कभी-कभी हरे-भरे गाँव तथा सुन्दर नगर खण्डहरों में बदल जाते हैं।
भूकंप के कारण भू-स्खलन भी होता है, जो नदी वाहिकाओं को अवरुद्ध कर जलाशयों में बदल देता है। कई बार नदियाँ अपना रास्ता बदल लेती हैं जिससे प्रभावित क्षेत्र में बाढ़ और दूसरी आपदाएँ आ जाती हैं।
वर्ष 2001 में छब्बीस जनवरी प्रात:काल ऐसा ही महाविनाशकारी भूकंप गुजरात के भुज शहर में आया, जिसने कुछ ही मिनटों में पूरे शहर को एक मलबे के ढेर में बदल दिया। पूरा कच्छ प्रदेश भी काँप गया। सभी सहम गए, कोई कुछ न कर सका।
वर्ष 1990 में उत्तरकाशी में भी ऐसा ही महाविनाशकारी भूकंप आया था। इस स्थिति में नदियों के प्रवाह, समुद्र और पर्वतों के स्थान भी बदल जाते हैं। कभी-कभी ज़मीन के नीचे दबे हुए प्राचीन संस्कृति तथा सभ्यता के अवशेष भूकंप के कारण बाहर निकल आते हैं। ऊपर की धरती नीचे तथा नीचे की धरती ऊपर आ जाती है।
भूकंप से बचाव के लिये उठाये गए कदम
कच्छ (गुजरात), लाटूर (महाराष्ट्र) में भयंकर भूकंप आए हैं। भूकम्प द्वारा हुई क्षति (हानि) को दृष्टि में रखते हुए अब हमारी सरकार ने इस दिशा में विशेष क़दम उठाए हैं तथा इस तरह के भवन निर्माण करने की योजना है जिससे भूकम्प आने पर कम से कम क्षति हो।
भूकंप के पश्चात् सरकारी और गैर-सरकारी लोगों तथा संस्थाओं द्वारा राहत कार्य शुरू होते हैं। भूकंप पीड़ितों को अन्न, वस्त्र, दवाइयों आदि की सहायता पहुँचाई जाती है। मलबा हटाया जाता है, खुदाई की जाती है। मलबे के नीचे दबे हुए लोगों में से कई जीवित भी पाए जाते हैं। इस समय इस राहत कार्य के साथ-साथ लोगों को सदमे की हालत से बाहर लाने की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
मनुष्य की मानवता और सेवा भावना भी ऐसे ही समय प्रकट होती है। सरकार के लिए पूरे क्षेत्र की भंग हुई संचार, यातायात, पानी और बिजली की व्यवस्था आदि का कार्य विस्तृत रूप ले लेता है। ऐसे समय में सभी से यथासंभव सहायता और सहयोग की आशा की जाती है। यह संसार एक दूसरे के सहयोग से ही चलता है।
भूकंप से होने वाले हानि को कम करने के उपाय
दूसरी आपदाओं की तुलना में भूकंप अधिक विध्वंसकारी हैं। चूँकि यह परिवहन और संचार व्यवस्था भी नष्ट कर देते हैं इसलिए लोगों तक राहत पहुँचाना कठिन होता है। भूकंप को रोका नहीं जा सकता। अतः इसके लिए विकल्प यह है कि इस आपदा से निपटने की तैयारी रखी जाए और इससे होने वाले नुकसान को कम किया जाए। इसके निम्नलिखित तरीके हैं :
(i) भूकंप नियंत्रण केंद्रों की स्थापना, जिससे भूकंप संभावित क्षेत्रों में लोगों को सूचना पहुँचाई जा सके। GPS (Geographical Positioning System) की मदद से प्लेट हलचल का पता लगाया जा सकता है।
(ii) देश में भूकंप संभावित क्षेत्रों का सुभेद्यता मानचित्र तैयार करना और संभावित जोखिम की सूचना लोगों तक पहुँचाना तथा उन्हें इसके प्रभाव को कम करने के बारे में शिक्षित करना।।
(iii) भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में घरों के प्रकार और भवन डिज़ाइन में सुधार लाना। ऐसे क्षेत्रों में ऊँची इमारतें, बड़े औद्योगिक संस्थान और शहरीकरण को बढ़ावा न देना।
(iv) अंततः भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में भूकंप प्रतिरोधी (resistant) इमारतें बनाना और सुभेद्य क्षेत्रों में हल्के निर्माण सामग्री का इस्तेमाल करना।
भूकंप और मनोबल में संबंध
भूकंप की स्थिति में सबसे अधिक काम आता है व्यक्ति का स्वयं का मनोबल। हमें सुख की भाँति दु:ख लिए भी समान रूप से तैयार रहना चाहिए। सुख और आनन्द की भाँति आपदाएँ, विपदाएँ भी आएँगी परन्तु जो बहादुर हैं, उनका धैर्यपूर्वक मुक़ाबला करते हैं, जीवन का आनन्द बार-बार उनका स्वागत करता है। जो कमज़ोर हैं, धैर्य नहीं रखते हैं, भूकंप के एक-दो झटकों में ही उनकी हृदयगति रुक जाती है।
जिससे आगे का दृश्य झेलने और देखने का न उनमें साहस होता है, न ही उन्हें अवसर मिलता है। कठिन समय में ही व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा होती है। ऐसे समय का जो बहादुरी से सामना कर गए वे जी गए। जीवन जीने के लिए है और यह सिर्फ बहादुरों के लिए है।
Frequently Asked Questions (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
उत्तर: L तिरंगे
उत्तर: सुनामी
उत्तर: भूकंप की तीव्रता
उत्तर: भूकंपीय तरंगों को
उत्तर: भूकंप
उत्तर: टेकटोनिज्म
उत्तर: सीस्मोलॉजी
उत्तर: जॉन मिल
उत्तर: 0 से 10
उत्तर: मरकैली मापनी (Mercalli Scale)
उत्तर: P (प्राथमिक या अनुदैर्ध्य तरंग)
उपसंहार (Conclusion)
दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा लेख भूकंप पर निबंध (Essay on Earthquake in Hindi) पढ़ कर अच्छा लगा होगा और आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होगें।
यदि आपको यह लेख अच्छा लगा हो इससे आपको कुछ सीखने को मिला हो तो आप अपनी प्रसन्नता और उत्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook , Google+, Twitter इत्यादि पर Share कीजिए।
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Hindi Essay on “Earthquake”, “भूकंप”, Hindi Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.
निबंध नंबर :- 01
धरती के अंदर अनेकानेक क्रियाकलाप चलते रहते हैं, जिनका पता भी हमें नहीं चलता। धरती की कई सतह नीचे लावा की गरमी है जो धरती की ऊपरी सतहों में हलचल पैदा करती है। जब यह हलचल कंपन के रूप में धरती की सबसे ऊपरी सतह को हिलाती है तो उसे भूकंप कहते हैं।
भूकंप के झटके प्रायः तीन से पाँच सैकंड तक महसूस होते हैं और इनके कंपन को रिक्टर स्केल पर एक से नौ तक नापा जा सकता है। सामान्यत:। पाँच से अधिक माप पर आनेवाला भूकंप प्रलयकारी होता है।
ऐसे भूकंप में बड़ी-बड़ी इमारतें ढह जाती हैं और धरती फटने लगती है। पैट्रोल पंप आदि ज्वलनशील जगहों पर आग लग जाती है। जान-माल का बहुत नुकसान होता है और मलबे के ढेर में लाखों लोग दब जाते हैं।
भूकंप का कारण मुख्यत: पहाड़ों से रास्ता बनाते हुए की गई बमबारी, बाँध बनाने के लिए गहरी खुदाई इत्यादि होते हैं।
भूकंप के बाद सबसे कठिन कार्य होता है मलबे में दबे जीवित लोगों को बिना हानि के निकालना। भूकंप पीड़ितों के लिए दिल खोलकर राहत में सहायता करनी चाहिए। ऐसे बेघर लोगों को कपड़े, दवाइयाँ, भोजन सभी की आवश्यकता होती है।
निबंध नंबर :- 02
भूकम्प का दृश्य
Bhukamp ka Drishya
भूकम्प का इतिहास उनता ही पुराना है, जितनी पुरानी यह पृथ्वी। बैगनर ने कहा है कि करोड़ों वर्ष पहले सभी महाद्वीप आपस में जुड़ेहुए थे और वे विभिन्न दिशाओं में आगे बढ़ते गए। कहीं-कहीं घटते भी गए। इस प्रक्रिया के टकराव के कारण पृथ्वी के अन्दर की चट्टानों में दरारें पड़ने लगी और वे खिसने लगीं। इसी से भूकम्प आए। कुछ वर्ष हुए उत्तर प्रदेश के टिहरी गढ़वाल इलाके में भीषम भूकम्प आया। बड़ी गड़गड़ाहट हुई। पक्के मकान भी धराशाई हो गए। सूखी धरती पर पानी की धाराएं बहने लगी। पहाड़ों में दरारें आ गई। लोग बचाव के लिए इधर-उधर भागने लगे। कई दिनों तक भूकम्प ग्रस्त क्षेत्रों में जाना भी दूभर हो गया। सड़कें टूट चुकी थी। बाहनों का आना-जाना बन्द हो गया। घायलों की मरहम पट्टी करने वाला कोई न था। भूखों का अन्न और नग्नों को वस्त्र देने वाला कोई न था। चारों ओर हाहाकार मची थी। सर्दी के कारण बचाव करना कठिन हो रहा था। हवाई जहाजों से खाने के पैकेट फेंके जा रहे थे। मृत्यु का ऐसा क्रूर तांडव कभी न देखा था। उस दृश्य को देखकर आज भी मेरे रौंगटे खड़े हो जाते हैं। ऐसाबुरा दिन किसी पर भी न आए।
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भूकंप पर निबंध – Earthquake Essay In Hindi
भूकंप पर निबंध – essay on earthquake in hindi.
यद्यपि प्राकृतिक आपदा जब भी गुस्सा दिखाती है तो कहर ढहाए बिना नहीं मानती है। आकाश तारों को छू लेने वाला विज्ञान प्राकृतिक आपदाओं के समाने विवश है। अनेक प्राकृतिक आपदाओं में कई आपदाएँ मनुष्य की अपनी दैन हैं। कुछ वर्षों में प्रकृति के गुस्से के जो रूप दिखे हैं, उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि प्रकृति के क्षेत्र में मनुष्य जब-जब हस्तक्षेप करता है तो उसका ऐसा ही परिणाम होता है जो सुनामी के रूप में और गुजरात के भयावह भूकंप के रूप में देखने और सुनने में आया।
इन दृश्यों को देखकर अनायास ही लोगों के मुँह से निकल पड़ता है कि जनसंख्या के संतुलन को बनाए रखने के लिए प्रकृति में ऐसी हलचल होती रहती है, जो अनिवार्य रूप में हमेशा से होती रही है। वर्षा का वेग बाढ़ बनकर कहर ढहाता है तो कभी ओला, तूफान, आँधी और सूखा आदि के रूप में प्रकृति मनुष्यों को अपनी चपेट में लेती है। अपनी प्रगति का डींग हाँकने वाला विज्ञान और वैज्ञानिक यहाँ असहाय दिखाई देते हैं अर्थात् प्राकृतिक आपदाओं से संघर्ष करने की मनुष्य में सामथ्र्य नहीं है।
धरती हिलती है, भूचाल आता है। जब यही भूचाल प्रलयंकारी रूप ले लेता है, तो भूकंप कहलाता है। सामान्य भूकंप तो जहाँ-तहाँ आते रहते हैं, जिनसे विशेष हानि नहीं होती है। जब जोर का झटका आता है तो गुजरात के दृश्य की पुनरावृत्ति होती है। ये भूकंप क्यों होता है, कहाँ होगा, कब होगा? वैज्ञानिक इसका सटीक उत्तर अभी तक नहीं दे सके हैं।
हाँ भूकंप की तीव्रता को नापने का यंत्र विज्ञान ने जैसे-तैसे बना लिया है। सर्दी से बचने के लिए हीटर लगाकर, गर्मी से बचने के लिए वातानुकूलित यंत्र लगाकर, प्रकृति को अपने अनुकूल बनाने में सामान्य सफलता प्राप्त कर ली है, पर वर्षों के प्रयास के बावजूद भी इससे निजात पाने की बात तो दूर उसके रहस्यों को भी नहीं जान पाया है। यह उसके लिए चुनौतीपूर्ण कार्य है। कुछ आपदाएँ तो मनुष्य की देन हैं।
अनुमानित वैज्ञानिक घोषणाओं के अनुसार अंधाधुंध प्रकृति को दोहन और पर्यावरण का तापक्रम बढ़ने से धरती के अंदर हलचल होती है और यह हलचल तीव्र हो जाती है तो भूकंप के झटके आने लगते हैं। धरती हिलने या भूकंप के बारे में अनेक किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। कुछ धार्मिक व्याख्याओं के कारण यह धरती सप्त-मुँह वाले नाग के सिर पर टिकी है। जब नाग सिर बदलता है तो धरती हिलती है।
दूसरी किंवदंती है कि धरती धर्म की प्रतीक गाय के सींग पर टिकी है और जब गाय सींग बदलती है तो तब धरती हिलती है। कुछ धर्माचार्यों का मानना है कि जब पृथ्वी पर पाप-स्वरूप भार अधिक बढ़ जाता है तो धरती हिलती है और जहाँ पाप अधिक वहाँ धरती कहर ढहा देती है। इसके विपरीत वैज्ञानिक का मानना है कि पृथ्वी की बहुत गहराई में तीव्रतम आग है।
जहाँ आग है वहाँ तरल पदार्थ है। आग के कारण पदार्थ में इस तरह की हलचल होती रहती है। जब यह उथल-पुथल अधिक बढ़ जाती है तब झटके के साथ पृथ्वी की सतह से ज्वालामुखी फूट पड़ता है। पदार्थ निकलने की तीव्रता के अनुसार पृथ्वी हिलने लगती है। इनमें से कोई भी तथ्य हो, परंतु ऐसे दैवीय-प्रकोप से अभी सुरक्षा का कोई साधन नहीं है।
मनुष्य-जाति के अथक प्रयास से निर्मित, संचित सभ्यता एक झटके में मटियामेट हो जाती है। सब-कुछ धराशायी हो जाता है। वहाँ जो बच जाते हैं, उनमें हाहाकार मच जाती है। राजा और रंक लगभग एकसमान हो जाते हैं क्योंकि ऐसे दैवीय प्रकोप बिना किसी संकोच और भेदभाव के समान रूप से पूरी मानवता पर कहर ढहा देती है।
गुजरात में एकाएक, तीव्रगति से भूकंप हुआ। इस भूकंप ने शायद गुस्से से दिन चुना गणतंत्र दिवस 26 जनवरी। संपूर्ण देश गणतंत्र के राष्ट्रीय उत्सव में मग्न था। गुजरात के लोग दूरदर्शन पर गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम को देख रहे थे। तभी एकाएक झटका लगा धरती हिली। ऐसा लगा कि लंबे समय से धरती अपने गुस्से को दबाए हुए थी। आज उसका गुस्सा फूट पड़ा।
ऐसा फूटा कि लोग सोच भी न पाए कि क्या हुआ और थोड़ी ही देर में गगनचुंबी अट्टालिकाएँ, अस्पताल, विद्यालय, फैक्टरी और टेलीविजन के सामने बैठी भीड़ को उसने निगल लिया। शेष रह गई उन लोगों की चीत्कार, जो उसकी चपेट में आने से बच गए थे। बचने वाले लोगों के लिए सरकारी सहायता पहुँचने लगी। यह सहायता कुछ के हाथ लगी और कुछ वंचित रह गए।
वितरण की समुचित व्यवस्था न हो सकी। प्राकृतिक आपदा आकस्मिक रूप से अपना स्वरूप दिखाती है। ऐसे समय में मानवीय चरित्र के भी दर्शन होते हैं।
मानवता के नाते ऐसी आपदाओं में मनुष्य एकजुट होकर आपदा-ग्रसित लोगों का धैर्य बँधते हैं कि हम तुम्हारे साथ हैं। हम यथासंभव और यथासामथ्र्य तुम लोगों की सहायता करने के लिए तत्पर हैं। इस तरह टूटता हुआ धैर्य, ढाढस पाकर पुन: पुनर्जीवित हो उठता है। ऐसे समय में ढाढ़स की आवश्यकता भी होती है। यह मानवीय चरित्र भी है।
किंतु आश्चर्य तो तब होता है जब इस प्रकार के भयावह दृश्य को देखते हुए भी कुछ लोग अमानवीय कृत्य यानी पीड़ित लोगों के यहाँ चोरी, लूट आदि करने में भी संकोच नहीं करते हैं। एक ओर तो देश के कोने-कोने से और दूसरे देशों से सहायता पहुँचती है और दूसरी ओर व्यवस्था के ठेकेदार उसमें भी कंजूसी करते हैं और अपनी व्यवस्था पहले करने लगते हैं। ऐसे लोग ऐसे समय में मानवता को ही कलंकित करते हैं।
गुजरात में भूकंप के समय समाचार-पत्रों ने लिखा कि बहुत सी समाग्रियाँ वितरण की समुचित व्यवस्था न होने से बेकार हो गई। ऐसी प्राकृतिक आपदाएँ मनुष्य को संदेश देती हैं कि जब-तक जिओ, तब-तक परस्पर प्रेम से जिओ। मैं कब कहर बरपा दूँ। उसका मुझे भी पूर्ण ज्ञान नहीं है।
प्राकृतिक आपदा गीता के उस संदेश को दोहराती है कि कर्म करने में तुम्हारा अधिकार है फल में नहीं। यह प्राकृतिक आपदा मनुष्य को सचेत करती है और संदेश देती है कि मैं मौत बनकर सामने खड़ी हूँ। जब तक जी रहे हो तब तक मानवता की सीमा में रहो और जीवन को आनंदित करो. निश्चित और सात्विक रहो।
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भूकंप पृथ्वी की सतह का हिलना होता है जो अर्थ क्रस्ट में अचानक ऊर्जा के निकलने के कारण होता है। इससे इमारतों और बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान हो सकता है, जिससे यह एक खतरनाक प्राकृतिक आपदा बन जाती है। भूकंप की तीव्रता उसके परिमाण और भूकंप के केंद्र से दूरी पर निर्भर करती है। भूकंप भूस्खलन, आग और सुनामी को भी जन्म देते हैं, जिससे और भी अधिक विनाश ...
भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जो कि जीव-जन्तु, जलवायु, पेड़-पौधे, वनस्पति, पर्यावरण समेत समस्त मानव जीवन के लिए किसी बड़े संकट से कम नहीं है। भूकंप, जब भी आता है, धरती पर इतनी तेज कंपन होता है कि पल-भर में ही सब-कुछ तहस-नहस हो जाता है और तमाम मानव जिंदगियों एक झटके में बर्बाद हो जाती हैं।.
पृथ्वी की सतह के हिलने और कांपने को भूकंप के रूप में जाना जाता है। भूकंप को सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है क्योंकि वे जीवन और संपत्ति को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। भूकम पे निबंध छोटे बच्चो और कॉलेज छात्रों के लिए निबंध प्रस्तुत किया गया है।.
Today we are going to write essay on earthquake in Hindi. भूकंप पर निबंध (Bhukamp Essay in Hindi). Students will find long and short essay on earthquake in Hindi along with a paragraph on earthquake in Hindi. You will also find effects of earthquake in Hindi and earthquake conclusion essay in Hindi.
भूकंप क्या है? What is Earthquake in Hindi? भूकंप आने कारण Reasons of Earthquake in Hindi; भूकंप के प्रभाव Impact of Earthquake in Hindi; भूकंप से बचाव के उपाय (प्रबंधन) Earthquake Prevention Measures in Hindi
अचानक रिहाई (release) के कारण पृथ्वी की सतह का हिलना है। ऊर्जा की यह रिहाई भूकंपीय तरंगें उत्पन्न करती है जो तीव्रता में व्यापक रूप से भिन्न हो सकती हैं, अदृश्य झटकों से लेकर विनाशकारी घटनाओं तक जो वस्तुओं को हवा में उछालने में सक्षम होती हैं, जिससे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को व्यापक नुकसान होता है। किसी क्षेत्र की भूकंपीय गतिविधि में एक विशिष्...
जब पृथ्वी के भीतर का तरल पदार्थ अत्यधिक गर्म हो जाता है तो इसकी भाप का दबाव बहुत बढ़ जाता है। इस दबाव से धरती की कई सतहों में परिवर्तन होता है, वे इधर-उधर खिसकती हैं, हिलती-डुलती हैं और धरती के गर्भ में उथल-पुथल मचाती हैं। इससे पृथ्वी के ऊपरी स्तर को भी धक्का लगता है और हम इसे भूकंप कहते हैं।.
भूकंप के झटके प्रायः तीन से पाँच सैकंड तक महसूस होते हैं और इनके कंपन को रिक्टर स्केल पर एक से नौ तक नापा जा सकता है। सामान्यत:। पाँच से अधिक माप पर आनेवाला भूकंप प्रलयकारी होता है।.
इन दृश्यों को देखकर अनायास ही लोगों के मुँह से निकल पड़ता है कि जनसंख्या के संतुलन को बनाए रखने के लिए प्रकृति में ऐसी हलचल होती रहती है, जो अनिवार्य रूप में हमेशा से होती रही है। वर्षा का वेग बाढ़ बनकर कहर ढहाता है तो कभी ओला, तूफान, आँधी और सूखा आदि के रूप में प्रकृति मनुष्यों को अपनी चपेट में लेती है। अपनी प्रगति का डींग हाँकने वाला विज्ञान औ...
Earthquake Essay in Hindi – भूकंप सबसे भयानक प्राकृतिक आपदाओं में से एक है। इसके स्रोत का पता पृथ्वी के निर्माण के शुरुआती दिनों में लगाया जा सकता है। यह जीवन और संपत्ति के बड़े नुकसान के लिए जिम्मेदार है। इसलिए, यह मानव जाति के लिए एक बड़ी समस्या है। भूकंप शब्द ग्रीक शब्दों से बना है, ‘पृथ्वी’ का अर्थ है जमीन और ‘भूकंप’ का अर्थ है हिलना या कांप...