पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)
आज हम इस आर्टिकल में पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000) लिखा है जिसमें हमने प्रस्तावना, पर्यावरण का अर्थ, पर्यावरण का महत्व, विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण से लाभ और हानि, पर्यावरण और जीवन, पर्यावरण प्रौद्योगिकी प्रगति और प्रदूषण, पर्यावरण संरक्षण के उपाय के बारे में लिखा है।
Table of Contents
प्रस्तावना (पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi)
प्रकृति ने हमें एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण सौंपा था। किंतु मनुष्य ने अपने लालची पन और विकास के नाम पर उसे खतरे में डाल दिया है। विज्ञान की बढ़ती प्रकृति ने एक और तो हमारे लिए सुख- सुविधा में वृद्धि की है तो दूसरी ओर पर्यावरण को दूषित करके मानव के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
पर्यावरण का अर्थ Meaning of Environment
“अमृत बांटें कर विष पान, वृक्ष स्वयं शंकर भगवान।”पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है पर +आवरण जिसका अर्थ है हमारे चारों ओर घिरे हुए वातावरण।
पर्यावरण और मानव का संबंध अत्यंत घनिष्ठ है। पर्यावरण से मनुष्य की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।
पर्यावरण का महत्व Importance of Environment in Hindi
पर्यावरण से ही हम हैं, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव- जंतु, प्राकृतिक, वनस्पतियों, पेड़- पौधे, जलवायु, मौसम सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित है।
पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है, और जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएँ उपलब्ध कराता है।
विश्व पर्यावरण दिवस World Environment Day
लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
5 जून 1973 को पहला पर्यावरण दिवस मनाया गया था। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रम कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।
पर्यावरण से लाभ और हानि Advantages and Disadvantages of Environment in Hindi
पर्यावरण से लाभ advantages of environment in hindi.
पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है। पर्यावरण हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण में जैविक, अजैविक, प्राकृतिक तथा मानव निर्मित वस्तु का समावेश होता है।
प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।जो हवा हम हर पल सांस लेते हैं, पानी जिस के सिवा हम जी नहीं सकते और जो हम अपनी दिनचर्या में इस्तेमाल करते हैं, पेड़ पौधे उनका हमारे जीवन में बहुत महत्व है।
यह सब प्राकृतिक चीजें हैं जो पृथ्वी पर जीवन संभव बनाती हैं। वह पर्यावरण के अंतर्गत ही आती हैं। पेड़-पौधों की हरियाली से मन का तनाव दूर होता है, और दिमाग को शांति मिलती है। पर्यावरण से ही हमारे अनेक प्रकार की बीमारी भी दूर होती है।
पर्यावरण मनुष्य, पशुओं और अन्य जीव चीजों को बढ़ाने और विकास होने में मदद करती है। मनुष्य भी पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण का एक घटक होने के कारण हमें भी पर्यावरण का एक संवर्धन करना चाहिए।
पर्यावरण पर हमारा यह जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण की वास्तविकता को बनाए रखना होगा।
और पढ़ें: जल संरक्षण पर निबंध
पर्यावरण से हानि Disadvantages of Environment in Hindi
आज के युग में पर्यावरण प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण पर्यावरण की प्रकृति नष्ट हो रही है। हर जगह जहां घने वृक्ष हैं उन्हें काट कर वहां बड़ी इमारत बनाए जा रहे हैं।
गाड़ी की धुआ, फैक्ट्री मे मशीनों की आवाज, खराब रासायनिक जल इन सब की वजह से, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण हो रहा है। यह एक चिंता का विषय बन चुका है यह अत्यंत घातक है। जिसके कारण हमें अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है और हमारा शरीर हमेशा बिगड़ रहा है।
वही आज जहां विज्ञान में तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार है। आधुनिकीकरण, प्रौद्योगिकी करण और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ रहा है।
मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते पेड़ पौधों की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है, यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वाल्मिग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।
पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए।
- पेड़ों का महत्व समझ कर हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमें छाया प्रदान करते हैं। घने वृक्ष पशु पक्षी का भी निवास स्थान है। इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।
पर्यावरण और जीवन Environment and life in Hindi
पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भर है। पर्यावरण के बिना मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुंत तरक्की कर ली हो।
लेकिन प्रकृति में जो हमें उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है। इसीलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।
वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व है, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है, और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं। पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।
पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण Environment, Technology, Progress and Pollution in Hindi
इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीकी ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे ना सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है। लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की है जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।
पर्यावरण संरक्षण के उपाय Environmental protection measures in Hindi
- उद्योग से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धोएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
- पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए।
- पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
- वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
- दूषित और जहरीले पदार्थों को निपटाने के लिए सख्त कानून बनाने चाहिए।
- लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझने के लिए जागरूकता फैलाने चाहिए।
हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। यह पर्यावरण संतुलन के लिए ही बनाया गया एक उपक्रम है।
इस तरह हमें अपने पर्यावरण को बचाना चाहिए। लोगों को पर्यावरण का महत्व समझाना चाहिए। स्वच्छ पर्यावरण एक शांतिपूर्ण और स्वास्थ्य जीवन जीने के लिए बहुत आवश्यक है।
पर्यावरण पर 10 लाइन 10 Line on Environment in Hindi
- पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परिधान +आवरण इसका अर्थ होता है हमारे चारों ओर् घिरे हुये वातावरण।
- पर्यावरण और मानव का संबंध घनिष्ठ है।
- पर्यावरण से ही हम हैं हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है।
- पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।
- पर्यावरण आसिफ जलवायु में संतुलन बनाए रखता है बल्कि, जीवन के लिए सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराता है।
- लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
- पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है।
- प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।
- पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।
- घने वृक्ष पशु-पक्षी का निवास स्थान है। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमेशा या प्रदान करते हैं।
निष्कर्ष Conclusion
पर्यावरण के प्रति हम सब को जागरूक होने की आवश्यकता है। पेड़ों की हो रही है अंधाधुन कटाई पर सरकार द्वारा सख्त कानून बनाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना और हमारा कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में ही रहकर स्वास्थ्य मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।आशा करते हैं आपको हमारा पर्यावरण पर निबंध अच्छा लगा होगा।
1 thought on “पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)”
आपने पर्यावरण पर जो निबंध लिखा है सचमुच ही हृदय को छू लेने वाला है। अगर जन-जन में यह क्रांति फैलाई जाए की मनुष्य जहां- जहां घर बनाते हैं वहां 6 फुट का जगह छोड़ना चाहिए और एक आम और नीम का पेड़ जरूर लगाना चाहिए।
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पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day in Hindi) - पर्यावरण पर निबंध कैसे लिखें
पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day in hindi) - विश्व पर्यावरण दिवस (डब्ल्यूईडी) हमारे पर्यावरण के संरक्षण तथा संवर्धन के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 5 जून को मनाया जाता है। पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में पूछे जाने वाले प्रश्नों में सामान्य प्रश्न है। पर्यावरण दिवस पर निबंध (Environment Day Essay in hindi) लिखना जितना आसान है उतना ही चुनौतीपूर्ण भी है, क्योंकि इसका विषय इतना व्यापक है कि कम शब्दों में समेटना गागर में सागर जैसा है। स्टूडेंट्स की सुविधा के लिए पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day hindi) को अधिक प्रभावी तथा सुव्यवस्थित करने में इस लेख को तैयार किया गया है ताकि परीक्षा या किसी प्रतिस्पर्धा से पहले इस विषय पर तैयारी में मदद मिले। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर निबंध | योग पर निबंध पढ़ें
विश्व पर्यावरण दिवस 2024 के लिए थीम और मेजबान देश
पर्यावरण संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर होने वाले सम्मलेन -, पर्यावरण संरक्षण के कुछ उपाय -, वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे पर निबंध (essay on world environment day in hindi) - विश्व पर्यावरण दिवस पर संदेश, पर्यावरण दिवस का क्या महत्व है, भारत में पारिस्थितिकी का जनक किनको कहा जाता है, पर्यावरण दिवस का जनक कौन है, पर्यावरण की 6 थीम क्या है, पहला पर्यावरण दिवस कौन सा था, विश्व पर्यावरण दिवस पर आप अपना योगदान कैसे दे सकते हैं.
विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को दुनिया भर के 100 से ज़्यादा देशों में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की मौजूदा स्थितियों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिन लोग मिलकर अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम करते हैं। हर साल, किसी खास थीम या पर्यावरण संबंधी मुद्दे पर प्रकाश डाला जाता है और प्रतिभागी इसे संबोधित करने के लिए कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता जताते हैं। यहाँ ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ विषय पर कुछ नमूना निबंध दिए गए हैं।
इससे विभिन्न स्तर पर आयोजित किए जाने वाले पर्यावरण दिवस पर निबंध (Environment Day Essay hindi) प्रतियोगिता या फिर विद्यालय में पर्यावरण दिवस से संबंधित होमवर्क को पूरा करने में भी इससे सहायता होगी। पर्यावरण दिवस पर निबंध पीडीएफ़ के तौर पर इस लेख को डाउनलोड भी कर सकते हैं, ताकि आपको भविष्य में संदर्भ के तौर पर इसकी मदद ली जा सके। चूंकि पर्यावरण दिवस पर लेख (Essay on Environment Day in hindi) लिखना काफी कठिन है क्योंकि यह विषय काफी व्यापक है। ऐसे में पर्यावरण पर निबंध (Essay on Environment Day in hindi) के इस लेख में हम उन सभी पहलुओं का समायोजन करने का प्रयास कर रहें है, जो इस विषय के लिए महत्वपूर्ण हैं।
पर्यावरण पर निबंध (paryavaran diwas par nibandh) का यह लेख उन सभी छात्रों के लिए लाभदायक होगा जो पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में (environment day essay in hindi) लिखना चाहते हैं या इस विषय के प्रति अपनी जानकारी में बढ़ोतरी करना चाहते है। इस लेख में दिए गए पर्यावरण दिवस पर निबंध के माध्यम से छात्रों को पर्यावरण दिवस जैसे विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। पर्यावरण दिवस पर हिंदी में निबंध (Essay on Environment Day in hindi) विशेष इस लेख के माध्यम से छात्र निबंध लिखने की कला सिख पाएंगे। इसके साथ ही ऐसे स्कूल में अध्ययनरत छात्रों को भी इस लेख से मदद मिलेगी जो विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध हिन्दी में (Essay on Environment Day in hindi) लिखने में किसी प्रकार का संदर्भ या सहायता की तलाश कर रहे हैं।
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पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on Environment Day in Hindi) - पर्यावरण क्या है?
इस प्रश्न ने स्वतः में बहुत से तत्वों का समावेश कर रखा है। मूलतः पर्यावरण हमारे आस-पास का परिवेश है, जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है। सरल शब्दों में कहें तो सभी तत्व तथा परिस्थितियां जो प्राकृतिक तौर पर हमारे चारों ओर मौजूद हैं पर्यावरण (Environment) कहलाती हैं। पर्यावरण (Environment) को विभिन्न विषयों में प्राकृतिक वास, जनसंख्या पारिस्थितिकी एवं जीवमंडल जैसी शब्दावली से जाना जाता है। पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – परि और आवरण। परि का तात्पर्य है 'हमारे चारों ओर' तथा आवरण का अर्थ है 'परिवेश'। अर्थात हमारे चारों ओर पृथ्वी पर फैली प्रत्येक वस्तु हमारे पर्यावरण (Environment) का हिस्सा है। यह मूलतः मौलिक और जैविक तत्वों के पारस्परिक संबंध से बना है। पर्यावरण (Environment) के मौलिक तत्वों में स्थान, भू आकृतियाँ, जलाशय, जलवायु, जलअपवाह, शैल, मृदा, खनिज संपत्ति आदि सम्मिलित है, जबकि जैविक तत्व में मानव, पशु, पक्षी एवं वनस्पति सम्मिलित हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस हमारे सामने आने वाली पर्यावरणीय चुनौतियों, जैसे जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता के नुकसान के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी के मद्देनजर हर साल 5 जून को दुनिया भर में कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस का उद्देश्य व्यक्तियों, समुदायों और सरकारों को कार्रवाई करने और अधिक टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित करना रहता है।
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पर्यावरण दिवस पर निबंध हिंदी में (Essay on Environment Day in Hindi)
पर्यावरण दिवस - हमारी पृथ्वी जो हमारा घर है, जहां हम मनुष्य, पशु-पक्षी, पौधे निवास करते हैं, इसके ही पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत साल 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस (Environment Day) 5 जून, 1974 को “केवल एक पृथ्वी” (Only One Earth) स्लोगन/थीम के साथ मनाया गया था। जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी भाग लिया था। इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी स्थापना की गई थी। इस विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने का उद्देश्य विश्व के लोगों के भीतर पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूकता लाना तथा साथ ही प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भी है। इसी विषय पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 1986 को पर्यवरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया तथा 1987 से हर वर्ष पर्यावरण दिवस की मेजबानी करने के लिए अलग-अलग देश को चुना गया। साल 2021 में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के सहयोग से विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की मेजबानी “पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्निर्माण” विषय के साथ की थी।
पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्निर्माण विषय के साथ साल 2021 से साल 2030 तक संयुक्त राष्ट्र दशक की घोषणा भी की गई थी, जिसका उद्देश्य हमारे पर्यावरण (Environment) को हुई क्षति की भरपाई करना हैं। चाहे वह जंगल हो, पहाड़ हो, मरुभूमि या सागर हो, प्रत्येक का पुनर्निर्माण करना इस दशक का उद्देश्य रखा गया।
हाल के दिनों में जिस तरह से गर्मी और तापमान बढ्ता जा रहा है, पर्यावरण दिवस का महत्व भी बढ़ रहा है। 2024 में भारत की राजधानी दिल्ली में 29 मई को पारा रिकॉर्ड 52.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इसने देश में सर्वाधिक गर्म दिन का रिकॉर्ड बनाया। हालांकि मौसम विभाग का कहना था कि पारा मापने की मशीन में कुछ गड़बड़ी के चलते ऐसा हुआ है। इससे पहले राजस्थान केफलौदी में 2016 में तापमान 51 डिग्री सेल्सियस था जो देश में अब तक का सबसे ऊंचा तापमान था। इसी तरह देश के अन्य राज्यों यूपी, बिहार, पंजाब, राजस्थान में भी भीषण गर्मी ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी हैऔर ऐसे में लोगों को पर्यावरण का महत्व समझ में आ रहा है। पर्यावरण में असंतुलन ने लोगों के जनजीवन पर गहरा प्रभाव डाला है।
इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2024 का विषय या थीम भूमि पुनर्स्थापन मरुस्थलीकरण और सूखा लचीलापन (Land restoration, desertification and drought resilience) है। मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुसार, दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत भूमि वर्तमान में क्षरण के दायरे में है, जो सीधे दुनिया के आधे निवासियों को प्रभावित कर रही है और दुनिया के लगभग 50 प्रतिशत आर्थिक उत्पादन के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर रही है, जो लगभग 44 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर है। 2000 के बाद से सूखे की आवृत्ति और लंबाई में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। त्वरित हस्तक्षेप के बिना, सूखा 2050 तक वैश्विक आबादी के तीन-चौथाई से अधिक की आजीविका को खतरे में डाल सकता है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और सऊदी अरब ने घोषणा की कि भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे के लचीलेपन पर ध्यान देने के साथ सऊदी अरब विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की मेजबानी करेगा। विश्व पर्यावरण दिवस प्रतिवर्ष 5 जून को मनाया जाता है और पिछले पांच दशकों में यह दिन पर्यावरण जागरूकता के लिए सबसे बड़े वैश्विक मंचों में से एक बन गया है। पृथ्वी के संसाधनों का दोहन करने के कारण होने वाली क्षति को रोकने और पृथ्वी को बचाने के लिए इस साल विश्व पर्यावरण दिवस पर जागरूकता को लेकर चल रही तैयारियों में कई मुद्दों और आ रही परेशानी पर समाधान को लेकर चर्चाएं हो रही है। इन्हीं में एक है प्रैक्टिकल गाइड, जिसे छात्र पर्यावरण दिवस पर हो रही गतिविधियों के लिए बने लिंक https://www.worldenvironmentday.global/2024-updates# पर देख सकते हैं। इनवायरनमेंट डे प्रैक्टिकल गाइड पीडीएफ देखने के लिए नीचे दिए फोटो लिंक पर क्लिक करें।
हमें विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाने की आवश्यकता क्यों है?
विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) की शुरुआत: मानव द्वारा अपने हित के लिए लगातार पृथ्वी के संसाधनों का दोहन करने के कारण होने वाली क्षति को रोकने और पृथ्वी को बचाने के लिए पर्यावरण दिवस (Environment Day) की शुरुआत की गई। मानव ने पिछले 200 वर्षो में अपनी उन्नति और प्रगति के नाम पर प्रकृति का जो शोषण किया है, उसी का परिणाम है जो आज हम अपने पर्यावरण में परिवर्तन देख रहें है। यदि इस पर अब भी दृढ़ता के साथ विचार नहीं किया गया, तो आने वाले समय में हमें इसके भयंकर परिणाम भुगतने होंगे। इस विषय को लेकर विश्व में जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण करने के लिए हर वर्ष 5 जून को वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे यानी अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है।
पर्यावरण दिवस (Environment Day) विषय की गंभीरता - मानव ने हमेशा अपने विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने का प्रयास किया है, इसके लिए विश्व के सभी देश अपनी प्रगति के लिए प्रकृति के संसाधनों का वहन कर रहें है, जिसका परिणाम है कि प्रदूषण का स्तर काफी तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। हम अपनी सुख-सुविधा के लिए अधिकाधिक पेट्रोलियम जैसे पदार्थो का उपयोग करते हैं, घर को वातानुकूलित रखने के लिए ए.सी का उपयोग करते हैं तथा साथ ही कारखानों से निकलने वाले जैविक पदार्थ जो सुविधा के अनुसार कहीं भी छोड़ दिए जाते हैं, प्रदूषण को बढ़ावा देने में अपना योगदान दे रहें हैं, जिससे पृथ्वी का बुखार (तापमान) लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में यदि इसे अभी भी कम न किया गया, तो मानव सभ्यता को नष्ट होने में अधिक समय नहीं लगेगा। इस प्रदूषण का भयानक परिणाम यह हो सकता है कि इस पृथ्वी पर जीवन की परिकल्पना करना भी असंभव हो जाएगा।
सौजन्य:- NCERT
इस विषय की गंभीरता बेहद चिंताजनक है, यदि इस पर अभी भी गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो मानव-जाति का पृथ्वी पर जीवित रहना ही मुश्किल हो जायेगा। ग्लोबल वार्मिंग के कारण लगातार ग्लेसियर पिघल रहे हैं जिसकी वजह से समुद्र में जल का स्तर बढ़ रहा है, यदि ऐसे ही चलता रहा तो कुछ समय पश्चात् धरती के ज्यादातर शहर जलमग्न हो जाएगा। इस पर किसी कवि की लिखी गई यह पंक्तियाँ सच साबित होती नजर आती है (कविता NCERT से ली गई है) -
प्रक्रति ने अच्छा दृश्य रचा
इसका उपभोग करें मानव
प्रक्रति के नियमों का उल्लंघन करके
हम क्यों बन रहें है दानव
ऊँचें वृक्ष घने जंगल ये
सब है प्रकृति के वरदान
इसे नष्ट करने के लिए
तत्पर खड़ा है क्यों इंसान
कक्षा 10वीं के बाद करियर बनाने में सहायक कुछ महत्वपूर्ण लेख पढ़ें
- बी.टेक क्या है? (फुल फार्म)
- एचसीएल टेकबी कार्यक्रम के माध्यम से आईटी में कैरियर
पर्यावरण प्रदूषण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन - पर्यावरण प्रदूषण के संबंध में विश्व की चिंता 20वीं सदी में बढ़ गई। 30 जुलाई 1968 को मानव द्वारा उत्पन्न पर्यावरण की समस्या विषय पर संयुक्त राष्ट्र की सामाजिक और आर्थिक परिषद् ने एक प्रस्ताव पारित किया तथा एक सम्मलेन का आयोजन किया गया, जिसमें कहा गया, “आधुनिक वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास के परिप्रेक्ष्य में मानव तथा उसके पर्यावरण के मध्य संबंधो में विकट परिवर्तन हुआ है।" सामान्य सभा ने इसमें संज्ञानता प्रकट की तथा कहा कि वैज्ञानिकों तथा तकनीकी विकास ने असीमित अवसरों को जन्म दिया है, यदि इन अवसरों का प्रयोग नियंत्रित रूप से नहीं किया गया, तो हमें भयंकर समस्याओं का समाना करना पड़ सकता है। इस सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, क्षरण तथा भूमि के विनिष्टीकरण के अन्य प्रारूप, ध्वनि प्रदूषण, अपशिष्ट तथा कीटनाशकों के प्रभाव पर भी विचार किया।
मानव पर्यावरण स्कॉटहोम सम्मलेन - इस सम्मलेन का उद्देश्य विश्वव्यापी पर्यावरण के संरक्षण की समस्या का निदान तथा सुधार करना था। पर्यावरण के संरक्षण के संदर्भ में विश्वव्यापी स्तर का यह पहला प्रयास था। इसी सम्मलेन में 119 देशों ने ‘एक ही पृथ्वी’ का सिद्धांत को अपनाया था तथा इसी सम्मलेन से वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे यानि कि विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत हुई थी।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम - 19 नवंबर 1986 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं -
पर्यावरण की गुणवत्ता के संरक्षण हेतु सभी महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।
पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन हेतु राष्ट्रव्यापी योजनाएं बनाना और उनका क्रियान्वयन करना।
पर्यावरण की गुणवत्ता के मानक का निर्धारण करना।
पेरिस जलवायु समझौता - इस समझौते का प्रस्ताव वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप-21) के दौरान, 196 पक्षों की ओर से 12 दिसंबर को पारित किया गया था। 4 नवंबर 2016 को यह समझौता लागू हो गया था। पेरिस समझौते का उद्देश्य औद्योगिक काल के पूर्व के स्तर की तुलना में वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखना है और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये विशेष प्रयास करना है। तापमान संबंधी इस दीर्घकालीन लक्ष्य को पाने के लिये देशों का लक्ष्य, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के उच्चतम स्तर पर जल्द से जल्द पहुँचना है ताकि उसके बाद, वैश्विक स्तर में कमी लाने की प्रक्रिया शुरू की जा सके। इसके जरिए 21वीं सदी के मध्य तक कार्बन तटस्थता (नेट कार्बन उत्सर्जन शून्य) हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
अन्य लेख देखें:
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- सॉफ्टवेयर इंजीनियर कैसे बनें? )
भारत द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए गए कदम - भारतीय पर्यावरण दिवस
भारतीय पर्यावरण दिवस या फिर कहें तो भारत में पर्यावरण दिवस का साल 2021 का विषय “बेहतर पर्यावरण के लिए जैव ईधन को बढ़ावा देना है, इसके लिए भारत सरकार ने पूरे देश में इथेनाल के उत्पादन और वितरण के लिए E-100 नामक प्रमुख योजना की शुरुआत की हैं। सरकार E-20 अधिसूचना जारी कर रही है जो तेल कंपनियों को 1 अप्रैल, 2023 से 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल और इथेनॉल मिश्रण E12 तथा E15 को BIS विनिर्देशों के आधार पर बेचने की अनुमति प्रदान करेगी।
इसके अलावा भारत सरकार ने राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है जिसके अंतर्गत पूरे देश में वनों के आस-पास के क्षेत्र में पुनर्वास तथा वन रोपण का कार्य युद्ध स्तर पर किया जाएगा।
हरित भारत राष्ट्रीय मिशन, जलवायु परिवर्तन के लिए कार्य योजना है, जिसमे जलवायु परिवर्तन को जलवायु अनुकूलन में परिवर्तित करना तथा इसकी शमन रणनीति के रूप में अधिक से अधिक वृक्षों को लगाना हैं ।
राष्ट्रिय जैव विविधता कार्य योजना के अंतर्गत प्राकृतिक आवासों के क्षरण तथा हानि में कमी लाने के लिए नीतियों का कार्यान्वयन करना है।
यूज़ एंड थ्रो की प्रक्रिया को छोड़कर रिसायकल की प्रक्रिया को अपनाया जाना चाहिए
वर्षा जल-संचयन प्रणाली का उपयोग किया जाना चाहिए
जैविक खाद का उपयोग किया जाना चाहिए
जहाँ भी संभव हो पेड़-पौधे लगाएं और उनका संरक्षण करें
अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखें
प्लास्टिक का उपयोग न करें
वायुमंडल में कार्बन की मात्रा को कम करने के लिए सौर उर्जा का अधिक से अधिक प्रयोग करें
जल का संतुलित प्रयोग करें
तीन आर अर्थात रीसायकल, रिड्यूस और रियूज़ के सिद्धांत का पालन करें
निष्कर्ष - यह पृथ्वी सिर्फ हमारा घर ही नहीं, बल्कि हमारी माता भी है, इसके शोषण और दोहन को रोकना हमारा कर्तव्य है। यदि अभी भी इसे नहीं रोका गया, तो इसका परिणाम स्वयं मानव जाति को ही भोगने होंगे। पर्यवरण दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि हम प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें तथा उतना ही उपयोग करें जितना हमारे लिए आवश्यक है। साथ ही अपनी अस्मिता के साथ साथ इस धरती पर रहने वाले सभी जीवों की अस्मिता का आदर करें तथा पर्यवरण को संरक्षित करने का प्रयास करें।
महत्वपपूर्ण लेख:
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विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा वर्ष 1973 में की गई थी और यह अब तक जारी है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना है। विश्व पर्यावरण दिवस के जश्न में दुनिया भर के 100 से अधिक देश शामिल होते हैं।
रामदेव मिश्रा एक भारतीय वनस्पतिशास्त्री और पारिस्थितिकीविद् थे जिन्हें 'भारत में पारिस्थितिकी के जनक' के रूप में जाना जाता है। 1940 के दशक से 5 दशकों तक अपने शोध के माध्यम से, उन्होंने मध्य भारत के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में कृषि वानिकी, आदिवासी कृषि और जैव विविधता संरक्षण के लिए पारिस्थितिक सिद्धांतों को लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में पारिस्थितिकी अनुसंधान केंद्र की स्थापना की और पौधों के उत्तराधिकार, मृदा अपरदन, आवास बहाली पर महत्वपूर्ण अध्ययन किए। उन्होंने बड़े पैमाने पर प्रकाशन किया और छात्रों की कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कमजोर शुष्क क्षेत्रों के स्थायी प्रबंधन के लिए पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ एकीकृत करने की वकालत की।
पर्यावरण और पारिस्थितिकी के जनक अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट को माना जाता है। अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट को 18वीं शताब्दी के अंत में अपने प्रसिद्ध अन्वेषणों और लेखन के माध्यम से आधुनिक पर्यावरण विज्ञान की नींव रखने में उनके जबरदस्त योगदान के कारण पर्यावरण के पिता के रूप में जाना जाता है।
पर्यावरण विषय को 6 थीम में बाँटा गया है। वे हैं : थीम 1: परिवार एवं मित्र, जिसकी चार उपथीम हैं - (1.1) आपसी संबंध, (1.2) काम और खेल, (1.3) जानवर और (1.4) पौधे ।
अन्य थीमें हैं - ( 2 ) भोजन; ( 3 ) पानी ; ( 4 ) आवास ; ( 5 ) यात्रा और (6) हम चीजें कैसे बनाते हैं।
1972, स्वीडन | मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन के पहले दिन को चिह्नित करते हुए 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाना शुरू किया।
पर्यावरण दिवस का महत्व बताएं?
पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 के स्टॉकहोम सम्मेलन के बाद 1973 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा की गई थी। इस दिवस को मनाने के ज़रिए पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता में कमी जैसी गंभीर समस्याओं पर वैश्विक चर्चा को बढ़ावा दिया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल इसके लिए एक अलग विषय चुना जाता है, जो किसी खास पर्यावरणीय चुनौती पर फोकस करता है। इस साल के विषय हमारी धरती, हमारा भविष्य के ज़रिए भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखा सहनशीलता पर जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।
विश्व पर्यावरण दिवस एक वैश्विक आंदोलन है जो दुनिया भर के नागरिकों को हमारे ग्रह की रक्षा और संरक्षण के लिए कार्रवाई करने के लिए एकजुट करता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1974 में शुरू किया गया यह वार्षिक कार्यक्रम हम सभी को यह समझने में मदद करता है कि हमारे कार्य हमारे पर्यावरण को स्वस्थ और स्वच्छ बनाने में कैसे मदद कर सकते हैं।
इस खास दिन पर बदलाव लाने में आप कई तरह से मदद कर सकते हैं। सफाई कार्यक्रमों का आयोजन या उनमें हिस्सा लेना, पेड़ लगाना, या अपने समुदाय या परिवार को ऊर्जा का उपयोग कम करने और पानी बचाने के लिए प्रोत्साहित करना - संभावनाएं अनंत हैं। आप दान देकर या उनके साथ स्वयंसेवा करके पर्यावरण संगठनों का समर्थन भी कर सकते हैं। ये छोटे-छोटे कदम उठाने से हम एक स्वस्थ ग्रह बनाने के करीब पहुंचेंगे।
Frequently Asked Questions (FAQs)
छात्र इस लेख की मदद से पर्यावरण दिवस पर निबंध लिखना सीख भी सकते हैं और पर्यावरण दिवस पर निबंध pdf भी डाउनलोड कर सकते हैं।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लिखने की कला सिखने के लिए आप इस लेख की सहायता ले सकते हैं, पर्यावरण दिवस की महत्वपूर्ण जानकारी इस लेख में उपलब्ध हैं।
वह सभी मौलिक तत्व और परिस्थितियां जो हमारे चारों ओर विद्यमान हैं वही हमारा पर्यावरण है।
पर्यावरण का वर्गीकरण चार प्रकार से किया गया है -
भौतिक पर्यावरण
सांस्कृतिक पर्यावरण
जैविक पर्यावरण
संज्ञात पर्यावरण
पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है।
पहली बार पर्यावरण दिवस 5 जून, 1974 को मनाया गया था।
पहले पर्यावरण दिवस का विषय “केवल एक पृथ्वी” था।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 19 नवंबर, 1986 को लागू किया गया।
पर्यावरण दिवस 2021 का विषय “पारिस्थितिकी तंत्र का पुननिर्माण” था।
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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (300, 500 और 600 शब्दों में)
दोस्तों, हम अपने पर्यावरण के विषय में तो जानते ही हैं, कि पर्यावरण ही दुनिया के समस्त भगौलिक स्थितियों का नियंत्रणकर्ता है। लेकिन आधुनिक भारत में नवीनीकरण व औद्यौगिककरण ने देश के पर्यावरण को इस तरह दूषित कर दिया है, कि मानव जाति का जीवन ही संकट में अा चुका है।
आज के आर्टिकल के जरिए हम अपने लेख में आपको पर्यावरण संरक्षण विषय पर निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं। जो आपकी निबंध प्रतियोगिताओं, निबंध लेखन इत्यादि में लाभकारी साबित होंगे। तो आइए जानते हैं, पर्यावरण संरक्षण पर निबंध
Table of Contents (विषय सूची)
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (300).
पर्यावरण संरक्षण का मतलब है, हमारे आस पास के वातावरण को संरक्षित करना। पर्यावरण मानव जाति के लिए एक उपहार है। जिसको सुरक्षित करना हमारा कर्तव्य है। लेकिन आज के समय में स्वार्थी मनुष्य अपने हित के लिए पर्यावरण का अहित कर रहा है। जो वाकई बेहद घातक सिद्ध हो सकता है। पर्यावरण का मानव जीवन से सीधा संबंध है। इसलिए पर्यावरण को हानि पहुंचेगी तो मानव जीवन भी कलुषित हो जाएगा। यही कारण है कि वर्तमान समय में पर्यावरण संरक्षण के लिए सार्थक कदम उठाए जाने की मांग बढ़ती चली जा रही है।
पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता
हमारे आस पास का समस्त वातावरण जैसे पेड़ पौधे, पशु, पक्षी, मनुष्य, जीव जंतु इत्यादि पर्यावरण का ही एक हिस्सा हैं। इस प्रकार इन सभी का पर्यावरण से घनिष्ठ सम्बन्ध है। हम कह सकते हैं कि यह सब एक दूसरे के पूरक है। ऐसे में यदि आप अपने पूरक को ही दूषित कर देंगे तो निसंदेह आपका दूषित होने भी स्वाभाविक है।
पर्यावरण के दूषित होने से संसार में अनेकों बीमारियां जन्म ले रही हैं। जीव जंतुओं की संख्या भी घटती जा रही है। पेड़ पौधे जो हमें ताजी हवा प्रदान करते हैं. इनकी संख्या घटती जा रही है। ऐसे में पर्यावरण संरक्षण एक सोचनीय विषय बन जाता है।
पर्यावरण संरक्षण के उपाय
पर्यावरण को सुरक्षित करना किसी व्यक्ति का कर्तव्य नहीं है। बल्कि यह संपूर्ण विश्व के लोगों का दायित्व है कि वह पर्यावरण संरक्षण को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। पर्यावरण संरक्षण हेतु अपनाए जाने वाले उपायों में निम्नलिखित उपाय शामिल हैं।
सबसे पहले हमें पर्यावरण को दूषित करने वाले कारकों के विषय में जानना होगी। जब तक इस बात का ज्ञान नहीं होगा कि आखिर पर्यावरण को दूषित करने के पीछे क्या कारण हैं तब तक हम उनका निवारण नहीं कर सकते हैं।
इस प्रकार, पर्यावरण से जन्म लेने वाले हम पर्यावरण के अंश हैं। हमें अपने पर्यावरण का आनंद लेने, उसका प्रयोग करने का जितना अधिकार है उतना ही पर्यावरण को संरक्षण करने का कर्तव्य है। अतः हमें सरकार के साथ मिलकर पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए और उसे प्रदूषण मुक्त करने के लिए एक साथ जागरूक होना होगा।
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (500)
प्रस्तावना : पर्यावरण संरक्षण एक अभ्यास है जिसका उद्देश्य व्यक्तियों, संगठनों और सरकारों के हाथों से प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करना है। यह समय की मांग है क्योंकि पृथ्वी का पर्यावरण हर दिन बिगड़ रहा है और इसका कारण मनुष्य हैं। वे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पृथ्वी के पर्यावरण को गलत तरीके से संभाल रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो यह कहना मुश्किल है कि आने वाली पीढ़ी के पास रहने के लिए एक सुरक्षित वातावरण होगा या नहीं।
पर्यावरण व मानव जीवन
पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए अच्छा पर्यावरण होना आवश्यक है। ऐसी चीजें जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं जैसे उद्योगों या कारखानों में काम करना, ईंधन से चलने वाले वाहनों से आना-जाना, एयर कंडीशनर का उपयोग करना आदि हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गए हैं। हम जितनी ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं वह आवश्यक है और इसका कोई दूसरा विकल्प नहीं है। पर्यावरण की सुरक्षा के महत्व के बारे में पूरी तरह से जागरूक होने के बावजूद हम पर्यावरण क्षरण में प्रमुख योगदान करें। जो कि मानव जीवन के लिए एक श्राप साबित हो सकता है। इसीलिए बेहद जरूरी है कि आत्मा की शुद्धि पर मनुष्य की आयु वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले पर्यावरण का संरक्षण किया जाए।
पर्यावरण संरक्षण की जरूरत
हर साल प्रदूषण बढ़ने और प्राकृतिक पर्यावरण के बिगड़ने के कारण, प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा के लिए कदम उठाना आवश्यक हो गया है। जैसा कि हम जानते हैं कि इन सभी समस्याओं का कारण मनुष्य है, सरकारों को अपनी गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के लिए नीतियां बनानी चाहिए जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं। यदि इन्हें तत्काल नहीं रोका गया तो आने वाले वर्षों में विश्व में कुछ विनाशकारी विनाश देखने को मिल सकता है। उदाहरण के लिए, जलवायु परिवर्तन एक बहुत बड़ी समस्या रही है, और यह बढ़ते प्रदूषण के कारणों में से एक है। एक सुरक्षित भविष्य समग्र रूप से पर्यावरण पर निर्भर करता है।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 में भारत की संसद द्वारा पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के प्रयास में पारित एक अधिनियम है। यह भोपाल गैस त्रासदी के बाद सरकार द्वारा अधिनियमित किया गया था। यह दिसंबर 1984 में भोपाल, मध्य प्रदेश में एक गैस रिसाव की घटना थी। इसे दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक आपदा माना जाता था क्योंकि आधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2,259 थी और 500,000 से अधिक लोग मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस के संपर्क में आए थे। इस अधिनियम को स्थापित करने का उद्देश्य लोगों को मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के निर्णयों को लागू करना था। यह पर्यावरण के संरक्षण और सुधार और पर्यावरणीय खतरों की रोकथाम के लिए बनाया गया था।
अतः पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम बनाए गए हैं। व्यक्ति केवल अपने बारे में सोचते हैं। हालांकि, ये सभी प्रयास तब तक व्यर्थ जाएंगे जब तक कि लोग पर्यावरण को बचाने की अपनी जिम्मेदारी नहीं मानेंगे। हम सभी को अपने पर्यावरण को बचाकर अपने ग्रह को बचाने के लिए व्यक्तिगत रूप से एक साथ आना होगा।
पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (600)
मानव जाति हमेशा पर्यावरण के बारे में चिंतित रही है। प्राचीन यूनानियों ने पर्यावरण दर्शन को विकसित करने वाले पहले लोग थे, और उनके बाद भारत और चीन जैसी अन्य प्रमुख सभ्यताओं का पालन किया गया। हाल के दिनों में, पारिस्थितिक संकट के बारे में बढ़ती जागरूकता के कारण पर्यावरण के लिए चिंता बढ़ गई है। क्लब ऑफ रोम, एक थिंक टैंक, अपनी रिपोर्ट “द लिमिट्स टू ग्रोथ” (1972) में दुनिया को अति जनसंख्या और प्रदूषण के खतरों के बारे में चेतावनी देने वाले पहले लोगों में से था।
आधुनिक पर्यावरण आंदोलन 1960 के दशक में शुरू हुआ जब पर्यावरण पर मनुष्यों के नकारात्मक प्रभाव के बारे में चिंताएं शुरू हुईं। इन चिंताओं के जवाब में, दुनिया भर की सरकारों ने पर्यावरण की रक्षा के लिए कानून पारित करना शुरू कर दिया। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में, पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) की स्थापना 1970 में हुई थी।
पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांत
पर्यावरण संरक्षण के तीन मूलभूत सिद्धांत है। पहला सिद्धांत बताता है कि यदि किसी गतिविधि में पर्यावरण के लिए नुकसान पहुंचाने की क्षमता है तो उस नुकसान को रोकने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। दूसरा, सिद्धांत प्रदूषण पैदा करने के लिए जिम्मेदार पार्टी को इसे साफ करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। तीसरा सिद्धांत, जनता को पर्यावरण के लिए किसी भी संभावित खतरों के बारे में जानने का अधिकार है और पर्यावरण को संरक्षित करने उनके कर्मों में से एक भी है।
पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य
पर्यावरण संरक्षण के तीन मुख्य लक्ष्य हैं।
- मानव स्वास्थ्य की रक्षा करना: यह पर्यावरण संरक्षण का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है क्योंकि मनुष्य स्वस्थ पर्यावरण के बिना जीवित नहीं रह सकते हैं।
- पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा के लिए: पारिस्थितिक तंत्र पृथ्वी पर जीवन की नींव हैं, और वे मनुष्यों को स्वच्छ हवा और पानी, भोजन और फाइबर जैसे कई लाभ प्रदान करते हैं।
- सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए: सतत विकास एक ऐसा विकास है जो भविष्य की पीढ़ियों की अपनी जरूरतों को पूरा करने की क्षमता से समझौता किए बिना वर्तमान की जरूरतों को पूरा करता है।
पर्यावरण संरक्षण हेतु सुझाव
पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:
- यदि आप अपने घर को पेंट कर रहे हैं, तो लेटेक्स पेंट का उपयोग करें, क्योंकि तेल आधारित पेंट हाइड्रोकार्बन धुएं को छोड़ते हैं।
- अपने निजी वाहन का उपयोग करने के बजाय, बाइक या सार्वजनिक परिवहन के लिए जाएं। क्योंकि ध्वनि प्रदूषण और स्मॉग में वाहन यातायात का प्रमुख योगदान है।
- इसके बजाय कम उर्वरक का उपयोग करने या जैविक उर्वरकों का उपयोग करने का प्रयास करें क्योंकि जब बारिश होती है, तो उर्वरक बारिश के पानी के साथ नदियों में बह जाते हैं।
- वाशिंग मशीन का उपयोग करते समय, इसे पूरा लोड करने का प्रयास करें या लोड के अनुसार जल स्तर को समायोजित करें। वाशिंग मशीन लगभग 40 गैलन पानी का उपयोग करती है।
- कार या अन्य वाहनों को धोने के लिए नली के बजाय बाल्टी का प्रयोग करें। क्योंकि जब आप काम कर रहे होते हैं तो होज़ से निकलने वाला पानी बहुत सारा पानी बर्बाद करता है।
- उपयोग में न होने पर लाइट, पंखे और अन्य बिजली के उपकरणों को बंद करके ऊर्जा बचाने का प्रयास करें। इससे आपके बिल को काफी हद तक कम करने में भी मदद मिलेगी।
- सामान्य रूप से पेड़ पौधों को ना काटे और आसपास छोटे बड़े पेड़ पौधे लगाने का प्रयास करें।
- देश में पॉलीथिन का प्रयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस प्रकार आप भी पॉलिथीन का यूज़ कम से कम करें। बाजार या दुकान पर सामान लेने के लिए आप अपना कपड़े का थैला यूज करें।
इस प्रकार हम जानते हैं कि मनुष्य ही पर्यावरण को दूषित करने का कारण है। इसीलिए पर्यावरण संरक्षण में मनुष्य को ही अपना विशेष योगदान देना होगा। अब समय समझने का और समझदारी दिखाने का है। हम सभी को मिलकर पर्यावरण संरक्षण की महत्वता को समझना होगा और इसके लिए एक साथ आगे आना होगा।
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