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रिसर्च डिज़ाइन क्या है?

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  • Updated on  
  • नवम्बर 14, 2022

विज्ञान और टेक्नोलॉजी, कला और संस्कृति, मीडिया अध्ययन, भूगोल, गणित और अन्य विषय हों, रिसर्च हमेशा अज्ञात को खोजने का मार्ग रहा है। वर्तमान निराशाजनक परिस्थितियों में जब कोरोनावायरस ने दुनिया को तहस-नहस कर दिया है, इसके इलाज के लिए टीके खोजने के लिए भारी मात्रा में रिसर्च किया जा रहा है। इस ब्लॉग में, हम समझेंगे कि विभिन्न प्रकार के रिसर्च डिज़ाइन और उनके संबंधित फैक्टर क्या है।

This Blog Includes:

एक रिसर्च डिज़ाइन क्या है, रिसर्च डिज़ाइन के लाभ, रिसर्च डिजाइन के तत्व, रिसर्च डिजाइन की विशेषताएं, ग्रुपिंग द्वारा रिसर्च डिज़ाइन प्रकार, जनसंख्या वर्ग स्टडी, क्रॉस सेक्शनल स्टडी, लोंगिट्यूडनल स्टडी, क्रॉस-सेक्युएंशियल स्टडी, क्वांटिटेटिव वर्सेस क्वालिटेटिव रिसर्च डिजाइन, फिक्स्ड बनाम फ्लेक्सिबल रिसर्च डिजाइन, रिसर्च डिज़ाइन ppt.

शोध’ शब्द से, हम समझ सकते हैं कि यह डेटा का एक कलेक्शन है जिसमें रिसर्च मेथड्स को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण जानकारी शामिल है। दूसरे शब्दों में, यह एक हाइपोथिसिस स्थापित करके खोजी गई जानकारी या डेटा का संकलन (कंपाइलेशन) है और इसके परिणामस्वरूप एक संगठित तरीके से वास्तविक निष्कर्ष सामने आता है। रिसर्च अकादमिक के साथ-साथ वैज्ञानिक आधार पर भी किया जा सकता है। आइए पहले समझते हैं कि रिसर्च डिज़ाइन का वास्तव में क्या अर्थ है।

रिसर्च डिजाइन एक रिसर्चर को अज्ञात में अपनी यात्रा को आगे बढ़ाने में मदद करता है लेकिन उनके पक्ष में एक सिस्टेमेटिक अप्रोच के साथ। जिस तरह से एक इंजीनियर या आर्किटेक्ट एक स्ट्रक्चर के लिए एक डिजाइन तैयार करता है, उसी तरह रिसर्चर विभिन्न तरीकों से डिजाइन को चुनता है, ताकि यह जांचा जा सके कि किस प्रकार का रिसर्च किया जाना है।

रिसर्च डिज़ाइन के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:

  • एक रिसर्च डिज़ाइन तैयार करने से रिसर्चर को अध्ययन के प्रत्येक चरण में सही निर्णय लेने में मदद मिलती है।
  • यह अध्ययन के प्रमुख और छोटे कार्यों की पहचान करने में मदद करता है।
  • यह शोध अध्ययन को प्रभावी और रोचक बनाता है।
  • इससे एक रिसर्चर आसानी से शोध कार्य के उद्देश्यों को तैयार कर सकता है।
  • एक अच्छे रिसर्च डिज़ाइन का मुख्य लाभ यह है कि यह शोध को संतुष्टि,आत्मविश्वास, एक्यूरेसी, रिलियाबिलिटी, कंटीन्यूटी और वैलिडिटी  प्रदान करता है।
  • इसके द्वारा लिमिटेड रिसोर्सेज  में भी सभी कार्यों को बेहतर तरीके से किया जा सकता है।
  • इससे रिसर्च में कम समय लगता है।

यहाँ एक रिसर्च डिज़ाइन के सबसे महत्वपूर्ण तत्व दिए हैं:

  • एकत्रित विवरण का एनालिसिस  करने के लिए लागू की गई विधि
  • रिसर्च मेथड का प्रकार
  • सटीक उद्देश्य कथन
  • शोध के लिए संभावित आपत्तियां
  • रिसर्च के संग्रह और एनालिसिस के लिए लागू की जाने वाली तकनीकें
  • एनालिसिस का मापन
  • शोध अध्ययन के लिए सेटिंग्स

रिसर्च डिज़ाइन

रिसर्च डिजाइन के प्रकार

अब जब हम व्यापक रूप से क्लासीफाइड प्रकार के रिसर्च को जानते हैं, तो क्वांटिटेटिव और क्वालिटेटिव रिसर्च को निम्नलिखित 4 प्रमुख प्रकार के research design in Hindi में विभाजित किया जा सकता है-

  • डिस्क्रिप्टिव रिसर्च डिजाइन
  • कॉरिलेशनल रिसर्च डिजाइन
  • एक्सपेरिमेंटल रिसर्च डिजाइन 
  • डायग्नोस्टिक रिसर्च डिजाइन
  • एक्सप्लेनेटरी रिसर्च डिजाइन 

अध्ययन डिजाइन प्रकारों का एक अन्य क्लासिफिकेशन इस पर आधारित है कि प्रतिभागियों को कैसे क्लासीफाइड किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में, समूहीकरण रिसर्च के आधार और व्यक्तियों के नमूने के लिए उपयोग की जाने वाली विधि द्वारा निर्धारित किया जाता है। प्रायोगिक रिसर्च डिजाइन के आधार पर एक विशिष्ट अध्ययन में आम तौर पर कम से कम एक प्रयोगात्मक और एक नियंत्रण समूह होता है। चिकित्सा रिसर्च में, उदाहरण के लिए, एक समूह को चिकित्सा दी जा सकती है जबकि दूसरे को कोई नहीं मिलता है। तुम मेरा फॉलो समझो। हम प्रतिभागी समूहन के आधार पर चार प्रकार के अध्ययन डिजाइनों में अंतर कर सकते हैं:

एक को होर्ट अध्ययन एक प्रकार का अनुदैर्ध्य रिसर्च है जो पूर्व निर्धारित समय अंतराल पर एक समूह के क्रॉस-सेक्शन (एक सामान्य लक्षण वाले लोगों का एक समूह) लेता है। यह पैनल रिसर्च का एक रूप है जिसमें समूह के सभी लोगों में कुछ न कुछ समान होता है।

सामाजिक विज्ञान, चिकित्सा रिसर्च और जीव विज्ञान में, एक क्रॉस-अनुभागीय अध्ययन प्रचलित है। यह अध्ययन दृष्टिकोण किसी विशिष्ट समय पर जनसंख्या या जनसंख्या के प्रतिनिधि नमूने के डेटा की जांच करता है।

एक अनुदैर्ध्य अध्ययन एक प्रकार का अध्ययन है जिसमें एक ही चर को कम या लंबी अवधि में बार-बार देखा जाता है। यह आमतौर पर अवलोकन संबंधी शोध है, हालांकि यह दीर्घकालिक रेंडम  प्रयोग का रूप भी ले सकता है।

क्रॉस-अनुक्रमिक रिसर्च डिजाइन अनुदैर्ध्य और क्रॉस-अनुभागीय रिसर्च विधियों को जोड़ती है, दोनों में निहित कुछ दोषों की कंपनसेशन के लक्ष्य के साथ।

क्वांटिटेटिव वर्सेस क्वालिटेटिव research design in Hindi के बीच अंतर निम्नलिखित हैं-

स्थिर और फ्लेक्सिबल research design in Hindi के बीच एक अंतर भी खींचा जा सकता है। क्वांटिटेटिव (निश्चित डिजाइन) और क्वालिटेटिव  (लचीला डिजाइन) डेटा एकत्र करना अक्सर इन दो अध्ययन डिजाइन श्रेणियों से जुड़ा होता है। आपके द्वारा डेटा एकत्र करना शुरू करने से पहले ही रिसर्च डिज़ाइन एक निर्धारित अध्ययन डिजाइन के साथ पूर्व-निर्धारित और समझा जाता है। दूसरी ओर, लचीले डिज़ाइन, डेटा संग्रह में अधिक लचीलापन प्रदान करते हैं – उदाहरण के लिए, आप निश्चित उत्तर विकल्प प्रदान नहीं करते हैं, इसलिए उत्तरदाताओं को अपने स्वयं के उत्तर देने होंगे।

Research design in Hindi के लिए PPT नीचे दी गई है-

चूंकि हम रिसर्च डिज़ाइन के प्रकारों से निपट रहे हैं, इसलिए यह समझना अनिवार्य है कि रिसर्च करने का अभ्यास कितना फायदेमंद है और इसके कुछ प्रमुख लाभ हैं: 1. रिसर्च विषय की गहरी समझ प्राप्त करने में मदद करता है। 2. आप इसके विविध पहलुओं के साथ-साथ इसके विभिन्न स्रोतों जैसे प्राथमिक और माध्यमिक के बारे में जानेंगे। 3. यह महत्वपूर्ण एनालिसिस और अनसुलझी समस्याओं के मापन के माध्यम से किसी भी क्षेत्र में जटिल समस्याओं को हल करने में मदद करता है।  4. आप यह भी जान पाएंगे कि संरक्षित मान्यताओं को तौलकर एक परिकल्पना कैसे बनाई जाती है।

रिसर्च ‘ शब्द से, हम समझ सकते हैं कि यह डेटा का एक संग्रह है जिसमें शोध पद्धतियों को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण जानकारी शामिल है। दूसरे शब्दों में, यह एक परिकल्पना स्थापित करके खोजी गई जानकारी या डेटा का संकलन है और इसके परिणामस्वरूप एक संगठित तरीके से वास्तविक निष्कर्ष सामने आता है।

यहाँ एक रिसर्च डिज़ाइन के सबसे महत्वपूर्ण तत्व है: 1. एकत्रित विवरण का एनालिसिस  करने के लिए लागू की गई विधि 2. रिसर्च पद्धति का प्रकार 3. सटीक उद्देश्य कथन 4. रिसर्च के लिए संभावित आपत्तियां 5. रिसर्च के संग्रह और एनालिसिस के लिए लागू की जाने वाली तकनीकें 6. समय 7. एनालिसिस का मापन 8. रिसर्च स्टडीज के लिए सेटिंग्स

एक सुनियोजित शोध डिजाइन  यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि आपके तरीके आपके शोध के उद्देश्यों से मेल खाते हैं, कि आप उच्च-गुणवत्ता वाले डेटा एकत्र करते हैं, और यह कि आप विश्वसनीय स्रोतों का उपयोग करते हुए अपने प्रश्नों का उत्तर देने के लिए सही प्रकार के विश्लेषण का उपयोग करते हैं  । यह आपको वैध, भरोसेमंद निष्कर्ष निकालने की अनुमति देता है।

रिसर्च के 5 घटक परिचय, साहित्य समीक्षा, विधि, परिणाम, चर्चा, निष्कर्ष है ।

उम्मीद है कि रिसर्च डिज़ाइन के बारे में आपको सभी जानकारियां मिल गई होंगी। यदि आप रिसर्च डिजाइन करना चाहते हैं तो Leverage Edu एक्सपर्ट्स के साथ 30 मिनट का फ्री सेशन 1800 572 000 बुक करें और बेहतर गाइडेंस पाएं।

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देवांग मैत्रेय

स्टडी अब्रॉड फील्ड के हिंदी एडिटर देवांग मैत्रे को कंटेंट और एडिटिंग में आधिकारिक तौर पर 7 वर्षों से ऊपर का अनुभव है। वह पूर्व में पोलिटिकल एडिटर-रणनीतिकार, एसोसिएट प्रोड्यूसर और कंटेंट राइटर/एडिटर रह चुके हैं। पत्रकारिता से अलग इन्हें अन्य क्षेत्रों में भी काम करने का अनुभव है। देवांग को काम से अलग आप नियो-नोयर फिल्म्स, सीरीज व ट्विटर पर गंभीर चिंतन करते हुए ढूंढ सकते हैं।

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Kushal Pathshala

शोध के प्रकार (Type of Research)

  • Post author: admin
  • Post category: Research Aptitude

समाज में निरंतर बढ़ती हुई आवश्यकता एवं सुविधाओं की मांग ने  नए-नए आविष्कारों को जन्म दिया है। आज शोध एवं विकास गतिविधियां एकल प्रयास ना होकर सामूहिक या संगठित प्रयास बन चुका है। सरकार ने भी शोध गतिविधियों के महत्व को समझा है और उन्हें अनुदान एवं विविध प्रकार से मदद देकर प्रोत्साहित किया जा रहा है।

मुख्यतः शोध कार्य दो स्तर पर हो रहा है – एक विश्वविद्यालय स्तर पर जिसमें विद्यार्थी शोध उपाधि जैसे एम. फिल या पी-एच.डी. के लिए शोध कार्य करता है दूसरे स्तर पर सरकार एवं निजी संस्थाएं शोध एवं विकास गतिविधियों को अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रायोजित करती है। आज प्रत्येक विकसित राष्ट्र, विकासशील राष्ट्र और अविकसित राष्ट्र अपने अपने संसाधनों और क्षमता के अनुसार शोध कार्य में लगे हुए हैं और वह प्रगति शील है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सामाजिक विज्ञान और मानविकी के क्षेत्र में हो रहे शोध कार्यों में प्रयोग की जाने वाली प्रक्रियाएं, तकनीकी भिन्न-भिन्न हो सकती है। शोध की प्रकृति के आधार पर निम्न प्रकार के शोध कार्य किया जा सकता है।

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Table of Contents

1. मौलिक शोध (Pure/Basic/Fundamental Research)

मौलिक शोध के द्वारा नवीन जान की विधि होती है इसमें अंतर्ज्ञान का प्रवाह अधिक होता है और सैद्धांतिक ज्ञान की खोज पर अधिक जोर दिया जाता है और सैद्धांतिक ज्ञान भविष्य में अनुप्रयुक्त कर नवीन ज्ञान की विधि की जा सकती है मौलिक शोध का स्वरूप बौद्धिक तथा सैद्धांतिक होता है इसमें नवीन सिद्धांतों एवं नियमों की खोज की जाती है इस प्रकार के अनुसंधान का प्राथमिक उद्देश्य सामान्य करना के द्वारा नए सिद्धांत तथा नियमों को विकसित करना होता है मौलिक शोध में शोध शोध कार्य विशुद्ध रूप से ज्ञान प्राप्ति के लिए क्या जाता है मौलिक शोध बौद्धिक प्रश्नों और जिज्ञासाओं का उत्तर खोजने का प्रयास होता है इसमें पुराने सिद्धांतों नियमों और सूत्रों की पुनर बच्चा एवं उसका सत्यापन किया जाता है यह मूलतः बौद्धिक समस्याओं के समाधान से संबंधित होता है।

2. व्यवहारिक शोध (Applied Research)

व्यवहारिक शोध अनुप्रयोग से मानव समुदाय की व्यवहारिक कठिनाइयों का हल खोजा जाता है। यह मूल रूप से प्रायोगिक समस्याओं के हल करने से संबंधित होता है। यह वर्तमान की राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आ रही समस्याओं का हल खोजने की दिशा में कार्य करती है। वस्तुतः व्यवहारिक शोध व्यवहारिक होता है और इसका मुख्य उद्देश्य उपयोगितावादी होता है जो सामान्यतः व्यवहारिक समस्याओं का समाधान करता है। मौलिक शोध द्वारा जहां सिद्धांत और सूत्र खोजे जाते हैं वही व्यवहारिक शोध उन सूत्रों सिद्धांतों की सहायता से विशेष समस्या के समाधान से संबंधित होते हैं। विज्ञान के क्षेत्र में व्यवहारिक शोध के द्वारा नवीन यंत्र नई तकनीक की खोज की जाती है ताकि देश और राष्ट्र विकास की गति बना रहे। समाज की शैक्षणिक, आवासीय, तकनीकी, आर्थिक आदि समस्याओं के समाधान में व्यवहारिक शोध उपयोगी साबित हुई है।

3. क्रियात्मक शोध (Action Research)

यद्यपि क्रियात्मक शोध व्यवहारिक शोध के अंतर्गत आता है। स्थानीय एवं तत्कालिक समस्याओं के समाधान के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक विधि के उपयोग के द्वारा स्थानीय या विशेष समस्याओं का समाधान प्रदान करना होता है। सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक, राजनीतिक आदि से संबंधित तत्कालिक समस्या का समाधान क्रियात्मक शोध के माध्यम से खोजा जा सकता है। इस प्रकार क्रियात्मक शोध का अत्यधिक महत्व है।

4. अन्तर्विषयी शोध (Interdisciplinary Research)

जब हम किसी शोध में विभिन्न विज्ञानों, सिद्धांतों एवं पद्धतियों का प्रयोग करते हैं तब उस शोध को अन्तर्विषयी शोध कहते हैं। प्रत्येक विज्ञान के अध्ययन की अलग-अलग विधियां या पद्धतियां होती हैं। उन सबका अपना – अपना दर्शन, इतिहास, स्वयं की मौलिक अवधारणाएं, शब्दावली तथा स्वयं की विषय वस्तु आदि होते हैं। अन्तर्विषयी शोध में विभिन्न विज्ञानों के विशेषज्ञ अपनी अपनी सेवाओं को इस प्रकार देते हैं ताकि उनके सिद्धांतों और विधियों में एकीकरण हो सके। उदाहरण स्वरूप जिस प्रकार किसी आर्केस्ट्रा में अलग-अलग बाद्य यंत्र काम करते हुए भी एकता स्थापित करते हैं उसी प्रकार अन्तर्विषयी शोध में वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, राजनीतिक विज्ञान वेता, भूगोल विद, दार्शनिक आदि अपने-अपने विज्ञान के अनुशासन का पालन करते हुए समन्वय स्थापित करने का प्रयास करते हैं। अन्तर्विषयी शोध की सबसे विशिष्ट विशेषता यह है कि वर्तमान सामाजिक जीवन में जटिल बने हुए मनोवैज्ञानिक एवं आर्थिक कारकों के अध्ययन तथा विवेचना को सहज बना देता है। वर्तमान परिदृश्य में अन्तर्विषयी शोध की आवश्यकता प्रत्येक क्षेत्र में स्वीकार किया जा रहा है।

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